एक और ऐतिहासिक सफलता में, 11 सितंबर, 2020 को अमेरिका, इजरायल और बहरीन के नेताओं द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में इजरायल और बहरीन पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने पर सहमत हो गये हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह घोषणा की है.
व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में इस बात का खुलासा हुआ है कि, बहरीन के राजा हमद बिन सलमान अल-खलीफा ने इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के साथ बात की थी और वे दोनों ही इजरायल और किंगडम ऑफ बहरीन के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए सहमत हुए थे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ट्वीट के माध्यम से इस शांति समझौते के बारे में घोषणा की. इस ट्वीट में उन्होंने लिखा था, "आज मिली है एक और ऐतिहासिक सफलता!" उन्होंने इस ट्वीट में आगे यह कहा, "हमारे दो महान दोस्त - इजरायल और बहरीन एक शांति समझौते के लिए सहमत हैं - यह 30 दिनों में इजरायल के साथ शांति कायम करने वाला दूसरा अरब देश है!"
महत्व
इसके साथ ही बहरीन संयुक्त अरब अमीरात के साथ संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की मध्यस्थता में एक शांति समझौते के द्वारा इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए सहमत हो गया है. फिलिस्तीनी नेताओं ने इस समझौते की निंदा की है और इसे "फिलीस्तीनी कारण के लिए एक और विश्वासघाती छुरा" बताया है.
इज़राइल-बहरीन शांति समझौता: मुख्य विशेषताएं
- एक संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, 11 सितंबर को आयोजित की गई यह बैठक मध्य पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक सफलता के तौर पर देखी जा रही है. इस बयान में यह कहा गया है कि, इन दोनों गतिशील समाजों और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के बीच सीधा संवाद और संबंधों को कायम करने से मध्य पूर्व का सकारात्मक परिवर्तन जारी रहेगा और इस क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि बढ़ेगी.
- इस बैठक के दौरान, फिलिस्तीनी लोगों के लिए शांति, सम्मान और आर्थिक अवसर को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका ने मनामा में 25 जून, 2019 को ऐतिहासिक शांति समृद्धि कार्यक्रम की मेजबानी के लिए बहरीन का आभार व्यक्त किया.
- इस जारी किये गये संयुक्त बयान में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि, तीनों पक्ष इजरायल और फिलिस्तीनी संघर्ष को न्यायपूर्ण, व्यापक और स्थायी समाधान प्राप्त करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे ताकि फिलिस्तीनी लोग अपनी क्षमता का पूर्ण विकास कर सकें.
- इज़राइल ने इस बात की पुष्टि की है कि, जैसेकि विज़न फॉर पीस में कहा गया है, ऐसे सभी मुसलमान जो शांतिपूर्वक आते हैं, वे अल अक्सा मस्जिद में जा सकते हैं और अपनी प्रार्थना कर सकते हैं. इसी तरह, यरूशलेम के अन्य पवित्र स्थल भी सभी धर्मों से संबंधित शांतिपूर्ण उपासकों के लिए खुले रहेंगे.
- इन तीनों ही पक्षों ने 13 अगस्त को इजरायल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने की घोषणा करने के लिए यूएई क्राउन प्रिंस शेख मोहम्मद बिन जायेद की सराहना भी की.
फिलिस्तीन पर प्रभाव
इजरायल-बहरीन शांति समझौता फिलिस्तीनी प्राधिकरण के अध्यक्ष महमूद अब्बास के लिए एक और बड़ा झटका है, जिन्होंने पहले यूएई-इजरायल समझौते की निंदा की थी और इस शांति समझौते को घृणित और विश्वासघात बताने के साथ ही अरब लीग से इसकी निंदा करने की मांग की थी.
इजरायल-यूएई शांति समझौता
- एक ऐतिहासिक पहल में, इजरायल और यूएई ने 13 अगस्त, 2020 को अपने संबंधों को सामान्य बनाने की घोषणा की थी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इन दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक शांति समझौते में मध्यस्थता की थी. इस नए शांति समझौते के तहत, इज़राइल ने वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों के लिए अपनी योजनाओं को स्थगित करने और सभी धर्मों के शांतिपूर्ण उपासकों के लिए यरूशलेम में अल अक्सा मस्जिद सहित सभी पवित्र स्थलों को खोलने के संबंध में अपनी सहमति व्यक्त की है.
- इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस समझौते पर टिप्पणी करते हुए यह कहा कि, इजरायल और अरब दुनिया के बीच एक नया युग शुरू हो गया है. यूएई, मिस्र और जॉर्डन के बाद, इजरायल के साथ संबंध कायम करने वाला तीसरा अरब देश बन गया था.
- ये दोनों देश 15 सितंबर को व्हाइट हाउस में इस शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. इस समझौते को "शांति की ऐतिहासिक घोषणा" माना जा रहा है. इस ऐतिहासिक हस्ताक्षर समारोह में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प के निमंत्रण को इज़राइल और यूएई के साथ-साथ बहरीन ने भी स्वीकार कर लिया है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और बहरीन के विदेश मंत्री अब्दुल्लातिफ अलयानी के द्वारा इस ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
पृष्ठभूमि
अरब दुनिया के अधिकांश देशों ने कई दशकों से इजरायल का बहिष्कार किया है और वे जोर देकर यह कहते हैं कि, वे केवल इजरायल-फिलिस्तीनी विवाद का समाधान होने के बाद ही संबंध स्थापित करेंगे. हालांकि, बहरीन ने मई, 2018 में इजरायल के अस्तित्व के अधिकार को मान्यता दी थी.
बहरीन, हालांकि अरब शांति पहल के लिए प्रतिबद्ध था, वास्तव में, इसने अपने नागरिकों को जब भी आवश्यक हो, इजरायल की यात्रा करने की अनुमति दी थी. अब, बहरीन इजरायल को पूर्ण मान्यता देने वाला और इस राष्ट्र के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला चौथे नंबर का अरब देश और फारस की खाड़ी क्षेत्र में दूसरे नंबर का देश बन गया है.
इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले अन्य तीन अरब देशों में वर्ष 1979 में मिस्र, वर्ष 1994 में जॉर्डन और वर्ष 2020 में संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं.
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