वायु प्रदूषण के कारण मधुमेह (डायबिटीज) का खतरा भी बढ़ जाता है. यह बात चीन में हुए एक शोध से सामने आई है. शोधकर्ताओं का दावा है कि वायु प्रदूषण और डायबिटीज के बीच सीधा संबंध है. लंबे समय तक प्रदूषित हवा से डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.
मधुमेह से विश्वभर में काफी आर्थिक और स्वास्थ्य बोझ बढ़ता है. विश्वभर में चीन में मधुमेह के सबसे अधिक मामले हैं.
अध्ययन कैसे किया गया?
वायु प्रदूषण के कारण मधुमेह को लेकर पड़ने वाले प्रभाव के अध्ययन के लिए 15 प्रांतों से 88 हजार डाटा लिए गए थे. इस अध्ययन में वर्ष 2004 से वर्ष 2015 की अवधि में पीएम 2.5 के प्रभाव का अध्ययन किया गया.
यह अध्ययन ‘चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज फुवई हॉस्पिटल’ और अमेरिका स्थित एमरॉय विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने साथ मिलकर किया है. इस अध्ययन का प्रकाशन “एनवॉयरमेंट इंटरनेशनल” नामक पत्रिका में किया गया है.
मुख्य बिंदु:
• अध्ययन के दौरान पाया गया कि हवा में पीएम 2.5 की मात्रा बढ़ने पर लोगों में मधुमेह का खतरा 16 प्रतिशत बढ़ जाता है. हवा में मौजूद पीएम 2.5 प्रदूषण पैदा करने वाला सबसे खतरनाक कण होता है. यह अत्यंत सूक्ष्म होने की वजह से फेफड़ों के कैंसर का भी कारण बनता है.
• विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष एक मिलियन लोगों की मृत्यु समय से पूर्व हो जाती है.
• संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने वर्ष 2017 में एक रिपोर्ट का प्रकाशन किया था, इस रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन में मधुमेह की समस्या विश्व में सर्वाधिक है, चीन की लगभग 11 प्रतिशत आबादी इससे पीड़ित है.
• अध्ययन में यह पाया गया की लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है.
यह अध्ययन विकासशील देशों हेतु काफी महत्व रखता है क्योंकि इन देशों में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ते जा रहा है. खासतौर पर भारत एवं चीन जैसे देशों में जहां पिछले कुछ सालों में पीएम 2.5 का स्तर काफी अधिक पाया गया है.
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