कैबिनेट ने भारतीय सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषद के गठन को मंजूरी दी

Nov 23, 2018, 12:12 IST

इस विधेयक में एक भारतीय सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषद और संबंधित राज्य सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषदों के गठन का प्रावधान किया गया है, जो सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशों के लिए एक मानक निर्धारक और सुविधाप्रदाता की भूमिका निभाएंगी.

Allied and Healthcare Council of India to be set up soon
Allied and Healthcare Council of India to be set up soon

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 22 नवंबर 2018 को सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनलों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा एवं सेवाओं के नियमन और मानकीकरण के लिए सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशा विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी है. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई.

इस विधेयक में एक भारतीय सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषद और संबंधित राज्य सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषदों के गठन का प्रावधान किया गया है, जो सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशों के लिए एक मानक निर्धारक और सुविधाप्रदाता की भूमिका निभाएंगी.

मुख्य तथ्य:

•   केन्द्रीय एवं संबंधित राज्य सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा परिषदों में सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े विषयों में 53 पेशों सहित 15 प्रमुख प्रोफेशनल श्रेणियां होंगी.

•   विधेयक में केन्द्रीय परिषद और राज्य परिषदों की संरचना, गठन, स्वरूप एवं कार्यकलापों का उल्लेख किया गया है जैसे कि नीतियां एवं मानक तैयार करना, प्रोफेशनल आचरण का नियमन, लाइव रजिस्टरों का सृजन एवं रखरखाव, कॉमन एंट्री एवं एक्जिट परीक्षाओं के लिए प्रावधान इत्यादि.

•   केन्द्रीय एवं राज्य परिषदों के अधीनस्थ प्रोफेशनल सलाहकार निकाय विभिन्न मुद्दों पर स्वतंत्र ढंग से गौर करेंगे और विशिष्ट मान्यता प्राप्त श्रेणियों से संबंधित सिफारिशें पेश करेंगे.

•   इस विधेयक को दायरे में आने वाले किसी भी पेशे से जुड़े किसी भी अन्य मौजूदा कानून से ऊपर माना जाएगा.

•   राज्य परिषद सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा संस्थानों को मान्यता देने का कार्य करेगी.

•   कदाचार की रोकथाम के लिए विधेयक में अपराधों एवं जुर्माने से जुड़े अनुच्छेद को शामिल किया गया है.

•   नियम-कायदे बनाने और कोई अनुसूची जोड़ने अथवा किसी अनुसूची में संशोधन करने के लिए केन्द्र सरकार को भी परिषद को निर्देश देने का अधिकार दिया गया है.

•   विधेयक के तहत केन्द्र एवं राज्य सरकारों को भी नियम बनाने का अधिकार दिया गया है.

•   अधिनियम पारित होने के 6 माह के भीतर एक अंतरिम परिषद का गठन किया जाएगा, जो केन्द्रीय परिषद का गठन होने तक दो वर्षों की अवधि के लिए प्रभार संभालेगी.

•   केन्द्र एवं राज्यों में परिषद का गठन कॉरपोरेट निकाय के रूप में किया जाएगा जिसके तहत विभिन्न स्रोतों से धनराशि प्राप्त करने का प्रावधान होगा.

•   आवश्यकता पड़ने पर परिषदों की सहायता क्रमश: केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा भी अनुदान सहायता के जरिए की जाएगी. हालांकि, यदि राज्य सरकार असमर्थता जताती है तो वैसी स्थिति में केन्द्र सरकार आरंभिक वर्षों के लिए राज्य परिषद को कुछ अनुदान जारी कर सकती है.

परिषद संरचना:

केन्द्रीय परिषद:

केन्द्रीय परिषद में 47 सदस्य होंगे जिनमें से 14 सदस्य पदेन होंगे, जो विविध एवं संबंधित भूमिकाओं और कार्यकलापों का प्रतिनिधित्व करेंगे, जबकि शेष 33 सदस्य गैर-पदेन होंगे जो मुख्यत: 15 प्रोफेशनल श्रेणियों का प्रतिनिधित्व करेंगे.

राज्य परिषद:

राज्य परिषदों की परिकल्पना केन्द्रीय परिषद को प्रतिबिंबित करने के रूप में भी की गई है, जिसमें 7 पदेन सदस्य और 21 गैर-पदेन सदस्य होंगे. गैर-पदेन सदस्यों में से ही इसके अध्यक्ष का निर्वाचन किया जाएगा.

व्यय:

प्रथम चार वर्षों में कुल लागत 95 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है. कुल बजट का लगभग 80 प्रतिशत (अर्थात 75 करोड़ रुपये) राज्यों के लिए निर्धारित किया जा रहा है,जबकि शेष राशि के जरिए 4 वर्षों तक केन्द्रीय परिषद के परिचालन के साथ-साथ केन्द्रीय एवं राज्य स्तरीय रजिस्टरों को तैयार करने में सहयोग दिया जाएगा.

स्वास्थ्य प्रणाली में अहम योगदान:

यह अनुमान लगाया गया है कि सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशा विधेयक, 2018 से देश में सीधे तौर पर लगभग 8-9 लाख मौजूदा सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा संबंधी प्रोफेशनल और हर वर्ष कार्यबल में बड़ी संख्या में शामिल होने वाले एवं स्वास्थ्य प्रणाली में अहम योगदान देने वाले अन्य स्नातक प्रोफेशनल लाभान्वित होंगे.

उद्देश्य:

इस विधेयक का उद्देश्य मुहैया कराई जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी प्रणाली को सुदृढ़ बनाना है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि इस विधेयक से देश की पूरी आबादी और समग्र रूप से समूचा स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र लाभान्वित होगा.

 

रोजगार सृजन: 

परिषद के गठन से सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कार्यबल के प्रोफेशनल रुख का लाभ उठाते हुए स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में योग्य, अत्यंत कुशल और उपयुक्त रोजगारों को सृजित करने का अवसर मिलेगा.

आयुष्मान भारत के विजन अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली विविध स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो पाएंगी, जिससे ‘डॉक्टर आधारित’ मॉडल के बजाय ‘सुगम्य सेवा एवं टीम आधारित’ मॉडल की ओर अग्रसर होना संभव हो पाएगा.

पृष्ठभूमि:

वर्तमान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में ऐसे अनेक सहयोगी और स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनल कार्यरत हैं, जो अब तक न तो चिन्हित एवं विनियमित किए गए हैं और न ही जिनका अब तक अपेक्षा के अनुरूप इस्तेमाल किया जा रहा है. सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनल (एएंडएचपी) असल में स्वास्थ्य मानव संसाधन नेटवर्क का अभिन्न हिस्सा हैं और कुशल एवं दक्ष सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनल इसके साथ ही स्वास्थ्य संबंधी देखभाल की लागत कम करने एवं बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने में अत्यंत मददगार साबित हो सकते हैं.

वैश्विक स्तर पर सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनल आरंभ में आम तौर पर न्यूनतम 3-4 वर्षों के स्नातक पूर्व (अंडरग्रैजुएट) डिग्री पाठ्यक्रम से जुड़ते हैं और वे अपने-अपने विषयों में पीएचडी स्तर की योग्यता हासिल कर सकते हैं.

विश्व भर में ज्यादातर देशों में एक वैधानिक लाइसेंसिंग अथवा नियामकीय निकाय होता है, जो इस तरह के प्रोफेशनलों, विशेष कर सीधे तौर पर मरीजों की देखभाल करने वालों (जैसे कि फिजियोथेरेपिस्ट, पोषण विशेषज्ञ इत्यादि) अथवा मरीजों की देखभाल को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले पेशों से जुड़े लोगों (लैब टेक्नोलॉजिस्ट, डॉसिमेट्रिस्ट इत्यादि) की योग्यताओं एवं सक्षमताओं को लाइसेंस देने एवं प्रमाणित करने के लिए अधिकृत होता है.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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