हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा जारी ताजा मानव पूंजी सूचकांक में भारत को कुल 130 देशों की सूची में 105वां स्थान मिला. इस सूची में फिनलैंड शीर्ष पर था.
डब्ल्यूईएफ द्वारा जारी मानव पूंजी सूचकांक इस बात संकेत है कि कौन सा देश अपने लोगों के पालन पोषण, शिक्षण-प्रशिक्षण और विकास तथा प्रतिभाओं के उपयोग में कितना आगे है. जेनेवा के गैर सरकारी संगठन- विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने ‘नये चैम्पियन’ नाम से कराए जाने वाले वार्षिक सम्मेलन/ तियांजिन सम्मेलन में यह रिपोर्ट जारी की.
इस अवसर पर डब्ल्यूईएफ के संस्थापक एवं कार्यकारी चेयरमैन क्लॉस श्वाब ने कहा, ‘‘आज चौथी औद्योगिक क्रांति के दौर में प्रवेश के दौर में शासण प्रणाली का संकट विश्व के शैक्षणिक समुदाय और नियोक्ताओं के लिए यह अनिवार्य बनाता है कि वे मूल रूप से संवाद और भागीदारी के जरिए मानव पूंजी पर विचार करें’’ उन्होंने कहा, ‘‘शैक्षणिक संस्थानों में जरूरत के हिसाब से बदलाव, श्रम बाजार नीति और कार्यस्थलों की स्थिति आर्थिक वृद्धि, समानता और सामाजिक स्थिरता की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.’'
विदित हो कि तियांजिन सम्मेलन को ग्रीष्मकालीन दावोस शिखर बैठक भी कहा जाता है. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की इस बैठक में चीन 71वें स्थान पर और पाकिस्तान को 118वें स्थान पर रखा गया. बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका सूचकांक में काफी ऊपर रहे. इस सूची में पाकिस्तान 118वें स्थान पर है. सूची में बांग्लादेश, भूटान और श्रीलंका का स्थान भारत से ऊपर रहा.
डब्ल्यूईएफ ने भारत को 105वें स्थान पर रखते हुए कहा है कि देश अपनी मानव पूंजी की संभावनाओं का सिर्फ 57 प्रतिशत ही इस्तेमाल कर पा रहा है. भारत पिछले साल इस सूचकांक में शामिल 124 देशों में 100वें स्थान पर था. डब्ल्यूईएफ ने कहा है कि विभिन्न आयु वर्गों में शिक्षा के क्षेत्र में भारत की ‘उपलब्धियां बढ़ी हैं’ पर इसकी युवा साक्षरता दर अभी सिर्फ 90 प्रतिशत है. इस मामले में भारत का विश्व में 103वां स्थान है और अन्य प्रमुख उभरते बाजारों से नीचे है. डब्ल्यूईएफ के इस रिपट में कहा गया है, ‘भारत श्रम बल में महिलाओं की भागीदार में काफी पीछे है और ऐसा आंशिक तौर पर विश्व में रोजगार के मामले में स्त्री-पुरष असमानता के मामले में अंतर अधिक होने के कारण है’. डब्ल्यूईएफ के इस रिपोर्ट का सकारात्मक पक्ष यह है कि भारत को शैक्षणिक प्रणाली (39वां) की गुणवत्ता के लिहाज से बेहतर स्थान मिला है. इसके अलावा कर्मचारी प्रशिक्षण में 46वें और कुशल कर्मचारियों उपलब्धता से जुड़े संकेतक में 45वें स्थान पर है. इसके साथ ही रिपट में यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में डिग्रीधारकों की संख्या करीब 7.8 करोड़ है जबकि चीन में इनकी संख्या करीब 25 लाख है. डब्ल्यूईएफ ने कहा कि वैश्विक स्तर पर लोगों के जीवन काल में शैक्षणिक, कौशल विकास और नियुक्ति के जरिए विश्व के सिर्फ 65 प्रतिशत प्रतिभा का सबसे अच्छे तरीके से इस्तेमाल हो पाता है. इस सूचकांक में फिनलैंड, नार्वे और स्विट्जरलैंड शीर्ष तीन स्थान पर हैं जो अपनी मानव पूंजी का 85 प्रतिशत तक उपयोग करते हैं. जहां तक 55 वर्ष से इससे अधिक उम्र की प्रतिभाओं के इस्तेमाल का सवाल है जापान इसमें आगे है.
मानव पूंजी सूचकांक में भारत के इस दयनीय स्थिति को देखते हुए हम कह सकते है की भारत को इस दिशा में काफी प्रयास करने की जरुरत है ताकि भारत विश्व पटल पर एक आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ ही साथ मानव पूंजी सूचकांक के मामले में भी बेहतर प्रदर्शन करे तभी वास्तविक विकास संभव हो पायेगा.

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