ARCI ने कैंसर के इलाज हेतु दुर्लभ धातु आधारित मैग्नेटोकैलोरिक सामग्री का निर्माण किया

Jun 8, 2020, 16:38 IST

मैग्नेटोकलोरिक सामग्रियों एक ऐसी वस्तु जिसमें एक चुंबकीय क्षेत्र लगाने या हटाने से वस्तु गर्म या ठंडा हो सकती है और इस तरह, यह नियंत्रित हीटिंग देने में सक्षम होगी. 

ARCI develops magnetocaloric material for cancer treatment in Hindi
ARCI develops magnetocaloric material for cancer treatment in Hindi

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र पाउडर धातु शोधन एवं नई सामग्री के लिए अंतरराष्ट्रीय उन्नत अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक दुर्लभ धातु आधारित मैग्नेटोकैलोरिक सामग्री का निर्माण किया है जिसका कैंसर के इलाज में प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है.

एआरसीआई द्वारा विकसित इस मैग्नेटोकैलोरिक वस्तु (ऐसी वस्तु जिसमें एक चुंबकीय क्षेत्र लगाने या हटाने से वस्तु गर्म या ठंडा हो सकती है) का श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी में परीक्षण चल रहा है. इस शोध कार्य पर एक शोध पत्र एलायड एंड कंपाउंड पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है.

कैंसर के इलाज

चिकित्सा सामग्री के क्षेत्र में तरक्की से चुंबकीय हाइपरथर्मिया (असाधारण रूप से उच्चतर तापमान) का विकास होगा जिससे कैंसर के इलाज में कीमोथेरपी जैसी प्रक्रिया के दुष्प्रभावों के मुद्दों का समाधान निकालने की कोशिश की जा सकती है.

40 डिग्री से 45 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान

चुंबकीय हाइपरथर्मिया में सूक्ष्म चुंबकीय पदार्थों को कुछ गौस के बदलते चुंबकीय क्षेत्रों में रखा जाता है जो चुंबकीय रिलैक्सेशन के नुकसान होने की वजह से ऊष्मा पैदा करता है. आमतौर पर ट्यूमर कोशिकाओं को मारने के लिए 40 डिग्री से 45 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की जरूरत पड़ती है.

हालांकि, चुंबकीय हाइपरथर्मिया (असामान्य तौर पर उच्चतर तापमान) में तापमान पर नियंत्रण रखने की कमी एक प्रमुख खामी है जिससे शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं को क्षति पहुंच सकती है और इससे बड़े हुए रक्त दबाव इत्यादि जैसे दुष्प्रभाव भी होता है.

चुंबकीय क्षेत्र लागू

इन समस्याओं को मैग्नेटोकैलोरिक सामग्रियों का इस्तेमाल कर दूर किया जा सकता है क्योंकि यह नियंत्रित ऊष्मा उपलब्ध कराता है. मैग्नेटोकैलोरिक सामग्री चुंबकीय क्षेत्र लागू करने या हटाने पर क्रमश: गर्म होता है या ठंडा होता है. इसके इस्तेमाल का फायदा यह है कि चुंबकीय क्षेत्र हटाते ही इसमें शीतलन का प्रभाव दिखने लगता है जबकि चुंबकीय सूक्ष्म कणों के मामले में चुंबकीय क्षेत्र हटाने पर भी जरूरत से ज्यादा तापमान बना रहता है.

मैग्नेटोकैलोरिक प्रभाव

अध्ययन के दौरान प्रणाली में चुंबकीय क्षेत्र लागू करने पर ऊष्मा बढ़ता है और चुंबकीय क्षेत्र हटाने पर शीतलन होती है.

मिश्र धातु का चुनाव

एआरसीआई में वैज्ञानिकों के दल ने अध्ययन के लिए दुर्लभ धातु आधारित मिश्र धातु का चुनाव किया क्योंकि कुछ दुर्लभ धातुएं मानव शरीर के अनुकूल होती हैं. उन्होंने मिश्र धातु की संरचना को इस तरह उपयुक्त बनाया ताकि कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए क्यूरी तापमान को आवश्यक चिकित्सा संबंधी तापमान सीमा (42-46 डिग्री सेंटीग्रेड) के नजदीक लाया जा सके.

हाइपरथर्मिया का मापन

प्रारंभिक हाइपरथर्मिया का मापन 15 मिनट तक अंब्रेल इजी हीट लैबोरेट्री इंडक्शन हीटिंग सिस्टम के इस्तेमाल से किया जाता था जिसमें एससीटीआईएमएसटी में हर 1 मिनट पर तापमान मापा जाता था. सूखे पाउडर पर चुंबकीय क्षेत्र लागू करने से दुर्लभ धातु के सूक्ष्म कणों का तापमान 59 डिग्री तक बढ़ गया.

चुंबकीय क्षेत्र में बढ़ोतरी

ट्यूमर में इंजेक्शन की अनुरूपता के लिए सूक्ष्म कणों को आसुत जल (डिस्टिल्ड वॉटर) में बिखेरा गया और तब तापमान 38 डिग्री तक पाया गया. यह अपेक्षित है कि चुंबकीय क्षेत्र में बढ़ोतरी के साथ ही ऊष्मीय क्षमता भी बढ़ेगी. एआरसीआई और एससीटीआईएमएसटी ज्यादा आंकड़े जुटाने के लिए एमआरआई के साथ 0.5 टेस्ला के चुंबकीय क्षेत्र में परीक्षण हेतु तरल पदार्थ में दुर्लभ सूक्ष्म कणों को बिखेर कर ट्यूमर कोशिकाओं पर विट्रो मापन का काम कर रहे हैं.

ट्यूमर के इलाज में लगने वाले समय में कमी

हाइपरथर्मिया मापन सूखे दुर्लभ धातु के सूक्ष्म कणों में तापमान में वृद्धि और आसुत जल (डिस्टिल्ड वॉटर) में इन्हें बिखेरने की स्थिति में तापमान में गिरावट दिखाता है. जब विकिरण चिकित्सा (रेडिएशन थेरेपी) के साथ इस विधि का इस्तेमाल किया जाता है तब दुष्प्रभाव एवं मानव शरीर को क्षति में कमी होगी और इसके साथ ही कैंसर ट्यूमर के इलाज में लगने वाले समय में भी कमी होगी.

Source: PIB

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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