India china Border Tension: भारतीय सेना ने 01 नवंबर 2021 को पूर्वी लद्दाख में अपनी तीव्र प्रतिक्रिया क्षमताओं को साबित करने के लिए हवाई अभ्यास शुरू किया. इसमें सैनिकों और उपकरणों के आसानी से मुवमेंट, सटीक स्टैंड-ऑफ ड्रॉप्स और कम समय में टारगेट का पता लगाने की क्षमता शामिल है.
यह अभ्यास ऐसे समय पर हो रहा है, जब वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है. भारतीय सेना इस समय अपनी क्षमताएं बढ़ाने के लिए हवाई और युद्धक अभ्यासों को अंजाम दे रही है. इसी के हिस्से के रूप में सेना की शत्रुजीत ब्रिगेड अपनी तेज प्रतिक्रिया क्षमताओं की मान्यता के लिए पूर्वी लद्दाख में उत्तरी सीमा पर हवाई सम्मिलन (एयरबोर्न इंसर्शन) कर रही है.
Shatrujeet Brigade of Indian Army is conducting an Airborne insertion along the northern borders in Eastern Ladakh to validate its rapid response capabilities, as part of an Airborne exercise and combat manoeuvres pic.twitter.com/gH3bsbM70V
— ANI (@ANI) November 1, 2021
शत्रुजीत ब्रिगेड में सेना के बेहतरीन पैराट्रूपर
शत्रुजीत ब्रिगेड में सेना के बेहतरीन पैराट्रूपर शामिल होते हैं. भारत और चीन के बीच संबंधों व गतिरोध की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस अभ्यास का समय काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता के तीन सप्ताह के बाद आयोजित हो रहा है.
14 हजार फीट की ऊंचाई पर एयर ड्रॉप
01 नवंबर 2021 को भारतीय सैनिकों को 14 हजार फीट की ऊंचाई पर एयर ड्रॉप किया गया. ये अभ्यास इसलिए भी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि जहां इन सैनिकों को ड्रॉप किया गया वहाँ तापमान -20 डिग्री के लगभग था. उन इलाक़ों पर विमानों के ज़रिए इन सैनिको को एयर ड्रॉप किया गया और जो जगह तय की गई थी सटीक उसी जगह सेना के जवान अपने पूरे बैटल लोड के साथ सफलतापूर्वक उतरे.
भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच गतिरोध
भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से ही गतिरोध कायम है जब पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प हुई थी. इसके बाद गलवान घाटी में दोनों सेनाएं आमने-सामने आई थीं. इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे. सैन्य और राजनयिक वार्ताओं की एक श्रृंखला के बाद भारत और चीन ने अगस्त 2020 में गोगरा क्षेत्र में और फरवरी 2021 में पैंगोंग झील से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी.
पिछले महीने भारतीय सेना के प्रमुख एमएम नरवणे ने भी लद्दाख का दौरा किया था. जहां तक सेना के हटने की बात है तो ये केवल गलवान, गोगरा और पैंगोग त्सो झील के पास हुआ है. ऐसे में दोनों ही सेनाओं का पूरी तरह हटना अभी नहीं हुआ है. हालांकि दोनों ही सेनाओं में अब भी टकराव बना हुआ है. दोनों देश की सेनाएं पिछली बार कई मौकों पर आमने- सामने आईं थीं.
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