भारत में यह जिला कहलाता है ‘पटाखों की नगरी’, जानें क्या है नाम

Oct 22, 2025, 19:23 IST

भारत में अलग-अलग जिलों की अपनी विशेषता है। इस कड़ी में एक जिला ऐसा भी है, जिसे पटाखों की नगरी भी कहा जाता है। कौन-सा है यह जिला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

भारत में पटाखों की नगरी
भारत में पटाखों की नगरी

दिवाली के मौके पर यदि भारत को ऊपर से देखा जाए, तो पूरा देश रोशनी से नहाता हुआ नजर आता है। दिवाली भारत का सबसे बड़ा त्योहार है, जो कि पूरे पांच दिनों तक चलता है। इस कड़ी में पटाखों को लेकर भी लोगों में अधिक उत्साह देखने को मिलता है। हालांकि, भारत में एक जिला ऐसा भी है, जिसे पटाखों की नगरी भी कहा जाता है। कौन-सा है यह जिला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

क्यों दिया जाता है शहरों को उपनाम

भारत के अलग-अलग शहरों की अपनी पहचान है। ऐसे में शहर की पहचान को शहरों से जोड़ने के लिए उनके मूल नाम के अलावा उपनाम भी रखे जाते हैं। इससे शहर को नई पहचान मिलती है। साथ ही, इसका आर्थिक और सामाजिक रूप से भी लाभ मिलता है।

कौन-सा जिला कहलाता है पटाखों की नगरी

अब सवाल है कि भारत में कौन-सा जिला पटाखों की नगरी कहलाता है। आपको बता दें कि भारत के तमिलनाडू में स्थित विरुधुनगर जिला पटाखों का शहर कहलाता है। इस जिले में मौजूद शिवकासी शहर है, जिसकी पहचान पटाखों से है। 

क्यों कहा जाता है पटाखों की नगरी

शिवकासी शहर में पटाखा, माचिस और छपाई उद्योग प्रमुख है। भारत में निर्मित होने वाले करीब 70 फीसदी पटाखें शिवकासी में ही तैयार किए जाते हैं। यहां पटाखों की छोटी-बड़ी हजारों इकाइयां मौजूद हैं, जिनमें लाखों की संख्या में लोग काम करते हैं। इस वजह से शिवकासी को पटाखों की नगरी भी कहा जाता है। 

दिलचस्प है पटाखें बनने की कहानी

शिवकासी शहर में पटाखा उद्योग की शुरुआत दो भाइयों ने 1922 में की थी। दोनों भाई कलकत्ता से माचिस निर्माण सीखकर आए थे, जिसके बाद उन्होंने माचिस निर्माण में कदम रखा और बाद में पटाखा उद्योग की नींव रखी। साल 1940 तक यहां पटाखों की कई छोटी फैक्ट्रियां खुल गई थीं। वहीं, 1950 में शिवकासी ने पटाखा उद्योग के रूप में अपनी पहचान बना ली थी। 1960 के दशक में पटाखों की मांग बढ़ने पर यहां औद्योगिक विकास हुआ और फैक्ट्रियां की संख्या बढ़ती गई। इसी वर्ष यहां पटाखों की कई बड़ी कंपनियों ने अपनी इकाइयां स्थापित की, जिसके बाद शिवकासी की पहचान और भी मजबूत हो गई। आज शिवकासी में प्रतिवर्ष पटाखों का 6000 से 7000 करोड़ का बिजनेस होता है। 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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