पाकिस्तान की सीमा से सटे जैसलमेर की महाजन फील्ड फायरिंग में दक्षिण पश्चिमी कमान का एक बड़ा युद्धाभ्यास "विजय प्रहार" 40 दिन चलने के बाद 09 मई 2018 को संपन्न हुआ. इस युद्धाभ्यास भारतीय सेना को परमाणु हमले से निपटने के लिए तैयार किया गया है. इस युद्धाभ्यास में 20,000 सैनिकों ने पूरे हथियारों एवं साजो-सामान के साथ हिस्सा लिया था.
युद्धाभ्यास के अंतिम दिन:
युद्धाभ्यास के अंतिम दिन रेत के धारों के बीच सैनिकों ने टैंक से दुश्मन के ठिकानों को खत्म करने,दुश्मन के क्षेत्र में आसमान से जमीन पर उतर कर धावा बोलने सहित अन्य कौशल का प्रदर्शन किया.
इस युद्धाभ्यास में वायुसेना के साथ भी बेहतर किस्म का समन्वय स्थापित हुआ.
भविष्य में युद्ध होने के हालात में रासायनिक और परमाणु हथियारों से निपटने के लिए सेना के अधिकारियों एवं जवानों ने रेगिस्तारन के रेतीले धारों में 45 से 46 डिग्री तापमान के दौरान न्यूक्लियर पोटेक्शन सूट पहनकर युद्धाभ्यास किया.
अत्याधुनिक बहुउद्देशीय हथियारों का प्रयोग:
इस युद्धाभ्यास में अत्याधुनिक बहुउद्देशीय हथियारों का भी प्रयोग किया गया. बम बरसाते टैंक, सैनिकों का सटीक प्रहार और सोची समझी युद्ध नीति के तहत आगे बढ़कर दुश्मन के ठिकानों को तहस-नहस करने का लक्ष्य.
हेलिकॉप्टहर से हमले का अभ्यास:
इस युद्धाभ्या स के दौरान लड़ाकू हेलिकॉप्ट र से हमला करने का भी अभ्याबस किया गया. युद्धाभ्या्स के दौरान एयरफोर्स के साथ मिलकर हमले को अंजाम देने की की क्षमता का भी परीक्षण किया गया.
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पृष्ठभूमि:
युद्धाभ्यास ‘विजय प्रहार’ एक आक्रामक रणनीति के तहत वायु एवं पृथ्वी में समन्वित युद्ध के तौर पर पूरी खुफिया जानकारियों का इस्तेमाल करते हुए शुरू हुआ था. अभ्यास में एयर कैवेलरी रणनीति का पूरी तरह से प्रयोग किया गया था. अब सभी सैनिक किसी भी प्रकार की आक्रामक कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित और तैयार हैं. भीषण गर्मी एवं आंधी के वातावरण में जवानों द्वारा पूरी वीरता एवं निष्ठा से किए गए इस युद्ध अभ्यास की काफी सराहना की गई.
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