कनाडा की संसद ने म्यांमार की नेता आंग सान सू की को सम्मानपूर्वक प्रदान की गयी कनाडा की मानद नागरिकता को वापस ले लिया है.
यह सम्मान अब तक छह लोगों को दिया गया था. आंग सान सू की पहली ऐसी व्यक्ति हैं, जिनसे यह नागरिकता वापस लिया गया.
कनाडा की मानद नागरिकता वापस लेने का कारण:
दरअसल, उन्होंने रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हिंसक कार्रवाई कर रहे म्यांमार के सैनिकों के खिलाफ कोई कदम उठाने से इनकार कर दिया था. रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ म्यांमार की सेना के अत्याचारों पर चुप्पी साधने के चलते आंग सान सू की की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी खराब हुई है.
म्यांमार के रखाइन प्रांत में सेना के बर्बर अभियान के कारण सात लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिमों को पड़ोसी देश बांग्लादेश भागना पड़ा है जहां वे शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. कनाडा ने बीते सप्ताह रोहिंग्याओं पर हो रहे अत्याचार को नरसंहार करार दिया था.
दोनों सदनों में वोटिंग:
आंग सान सू से मानद नागरिकता वापस लेने के संबंध में हाल ही में संसद के दोनों सदनों में वोटिंग कराई गई थी. इस पर सर्वसम्मति से उनके खिलाफ फैसला लिया गया. इस प्रस्ताव में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हुई हिंसा को ‘नरसंहार’ करार दिया. म्यांमार में रोहिंग्या के खिलाफ सेना ने पिछले साल हिंसक अभियान शुरू किया था. इसके बाद वहां से सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों को पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था.
कनाडा ने दी मानद नागरिकता:
कनाडा की संसद ने स्वीडन के राजनयिक राउल वेलेनबर्ग, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा, शिया इस्लामिक आगा खान-4 और पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को कनाडा की मानद नागरिकता दी गई थी. आंग सान सू की को कनाडा की मानद नागरिकता वर्ष 2007 में दी गई थी.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट:
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार के रखाइन प्रांत में सेना के बर्बर अभियान के कारण 7,00,000 से ज्यादा रोहिंग्या मुस्लिमों को पड़ोसी देश बांग्लादेश भागना पड़ा जहां वे शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं.
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