प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत हो चुकी है. अब इस योजना से गरीबों और वंचित तबकों का इलाज सुनिश्चित किया जा सकेगा. सरकार ने लोगों को इस खर्च के बोझ से बचाने के लिए इस स्कीम को शुरू किया है.
आयुष्मान भारत योजना:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत का शुभारंभ कर दिये है. इसे दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम के तौर पर पेश किया जा रहा है. सरकार के मुताबिक आयुष्मान भारत योजना से करीब 50 करोड़ भारतीय लाभान्वित होंगे. 29 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 445 जिले के लोगों को योजना का लाभ मिलेगा.
इस योजना के दायरे में गरीब, वंचित ग्रामीण परिवार और शहरी श्रमिकों की पेशेवर श्रेणियों को रखा गया है. नवीनतम सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना (एसईसीसी) के हिसाब से गांवों के ऐसे 8.03 करोड़ और शहरों के 2.33 परिवारों को शामिल किया गया है. सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत प्रत्येक परिवार को सालाना पांच लाख रुपये की कवरेज दी जाएगी और वे सरकारी या निजी अस्पताल में कैशलेस इलाज करा सकेंगे.
इस योजना के तहत देश के 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा देने की योजना है, जिससे 66 लाख परिवारों को हर साल गरीबी रेखा के नीचे जाने से बचाया जा सकेगा. सरकार द्वारा प्रायोजित ये विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है. इस बीमा के अंतर्गत 1300 बीमारियों का इलाज संभव होगा. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के मुताबिक गरीबों के लिए सरकारी से लेकर निजी अस्पताल तक इलाज की व्यवस्था होगी जो कि पुरी तरह कैशलेस होगी. प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत सारे सरकारी इंस्टीच्यूट जुड़े हैं. ऐसे में वहां इलाज कराना और आसान होगा. केरल में इस तरह कई अस्पतालों का कायाकल्प हो चुका है.
नमो केयर और मोदी केयर से विख्यात हो चुकी प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना देश के जन-जन तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचा सकेगी, ऐसा सरकारी तंत्र का दावा है.
आयुष्मान भारत योजना के दिशानिर्देश:
आयुष्मान भारत योजना के दिशानिर्देशों में स्पष्ट लिखा है कि आवेदन के दौरान किसी भी तरह का पहचान पत्र मान्य होगा. अगर किसी के पास आधार कार्ड नहीं है तो संबंधित राज्य सरकार किसी भी पहचान पत्र के जरिए उन्हें योजना का लाभ दे सकती है. इस योजना के तहत सामाजिक, आर्थिक और जाति आधारित जनगणना के आंकड़ों के आधार पर पिछड़े और वंचित स्तर के लोगों की पहचान के लिए मानदंड तय किए गए हैं.
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना:
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना एक योजना है. इसका उद्देश्य देश के विभिन्न भागों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सभी के लिए सामान रूप से उपलब्ध करवाना है. इस योजना के अंतर्गत देश के पिछड़े राज्यों में चिकित्सा शिक्षा को बेहतर करने हेतु सुविधाएँ उपलब्ध करवाने का लक्ष्य निर्धारित है. इस योजना को मार्च 2006 में मंजूरी दी गई थी.
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की अवधि को 12वीं पंचवर्षीय योजना से बढ़ाकर 2019-20 तक कर दिया है और इस उद्देश्य के लिये 14,832 करोड़ रूपये का वित्तीय आवंटन निर्धारित किया है.
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), जैसे छह संस्थान, बिहार (पटना),मध्यप्रदेश (भोपाल),उड़ीसा (भुवनेश्वर) , राजस्थान (जोधपुर ),छत्तीसगढ़ (रायपुर) और उत्तरांचल (ऋषिकेश), प्रत्येक में एक-एक स्थापित करना है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना:
गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के लिए एक केंद्र सरकार ने सरकारी स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम शुरू किया हैं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबो को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करना है बीपीएल श्रेणी से संबंधित श्रमिक और उनके परिवार के सदस्य इस योजना के तहत लाभार्थी होंगे. यह सुविधा सभी अस्पतालों (निजी और सरकारी) में होगी. इस योजना के लिए 1 अप्रैल 2008 को नामांकन शुरू किये गए जिसमे करीबन 36 लाख लोगो ने आवेदन किया हैं. यह योजना भारत के 25 राज्यों में लागू की गयी हैं.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राज्य सरकारों को लचीला वित्त पोषण उपलब्ध कराकर ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य क्षेत्र को पुर्नजीवित करने का सरकार का स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में चार घटक शामिल हैं. जिनके नाम हैं- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, तृतीयक देखभाल कार्यक्रम और स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा के लिए मानव संसाधन.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रजनन और बच्चों के स्वास्थ्य से परे ध्यान केंद्रित कर स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने के सरकार के प्रयास को दर्शाता है. इसलिए इसके तहत संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों के दोहरे बोझ से निपटने के साथ ही जिला और उप जिला स्तर पर बुनियादी ढांचा सुविधाओं में सुधार किया गया है. राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के बेहतर कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की सीख को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में समन्वित किया गया है. वर्ष 2017-18 के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के वास्ते 26,690 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं, जो भारत सरकार की केंद्र प्रायोजित सबसे बड़ी योजनाओं में से एक है.
नीति आयोग के मुताबिक स्वास्थ्य पर खर्च: |
नीति आयोग के मुताबिक भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का महज 1.3 फीसदी ही स्वास्थ्य पर खर्च करता है. जबकि चीन 2.45 फीसदी खर्च करता है और श्रीलंका मलेशिया और थाइलैंड भी स्वास्थ्य पर भारत की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद का दोगुना से ज्यादा खर्च करते हैं. ऐसे में गांव और शहर की अच्छी खासी आबादी को मजबूरीवश अपने घरेलु बजट में कटौती कर इलाज कराना पड़ता है और उन्हें अच्छी-खासी रकम उधार लेनी पड़ती है. |
नोट: आयुष्मान भारत योजना को इन पांच राज्यों ने लागू करने से इन्कार कर दिया. ये राज्य तेलंगाना, ओडिशा, दिल्ली, केरल और पंजाब हैं. इन राज्यों का कहना है, की यह इस योजना से असंतुष्ट हैं.
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