बांग्लादेश सरकार ने वर्ष 1971 में अपने देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाकिस्तान द्वारा मारे गए भारतीय सैनिकों के सम्मान में एक स्टैंडअलोन युद्ध स्मारक बनाने का फैसला किया है.
मोज़ामेल हक, बांग्लादेश युद्ध मुक्ति मंत्री ने 7 अगस्त, 2020 को यह घोषणा की है और यह बताया है कि, इस स्मारक का निर्माण बांग्लादेश की स्वतंत्रता की 50 वीं वर्षगांठ के साथ पूरा होगा.
बांग्लादेश में वर्ष 1971 के सभी शहीदों के लिए ढाका के बाहरी इलाके में एक राष्ट्रीय स्मारक है, लेकिन यह प्रस्तावित स्मारक केवल भारतीय सैनिकों के लिए ही बनाया जाएगा, क्योंकि वर्ष 1971 की लड़ाई के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों और भारतीय सेना के बीच सहानुभूति की सराहना हमेशा की गई है.
बांग्लादेश में भारतीय सैनिकों के सम्मान में बनेगा यह स्मारक
वर्ष 1971 में बांग्लादेश के लिबरेशन (मुक्ति) युद्ध में ब्राह्मणबारिया जिले के आशूगंज की अहमियत की वजह से, बांग्लादेश की हसीना सरकार ने यहां 3.5 एकड़ जमीन का चयन किया है. इस स्मारक का निर्माण इस साल शुरू होने की उम्मीद है और यह अगले दो वर्षों में पूरा हो जाएगा.
बांग्लादेश सरकार के एक अधिकारी के अनुसार, इस स्मारक का वास्तुशिल्प डिजाइन, दोनों पड़ोसी देशों के बीच मधुर संबंध को प्रतिबिंबित करेगा. उन्होंने आगे यह भी बताया कि, इस चुने गये स्थान का बहुत अधिक ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि वर्ष 1971 में भारतीय सेना ने बांग्लादेश स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर अश्वगंज में पाकिस्तानी सेना के साथ निर्णायक लड़ाई लड़ी थी.
वर्ष 1971 के बांग्लादेश युद्ध के लिए भारत की मान्यता
इस स्मारक का निर्माण करने की घोषणा, भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए ढाका के प्रयासों को तीव्र करने के उद्देश्य से की गई है क्योंकि भ्रामक सूचना का प्रसार किया जा रहा है जिससे भारत और बांग्लादेश के संबंध खराब हो सकते हैं.
वर्ष 1971 में भारत की भूमिका को और अधिक महत्त्व प्रदान करने के लिए, भारतीय दूत ने बांग्लादेश के युद्ध मुक्ति मंत्री मोज़ामेल हक से मुक्ति युद्ध पर पुस्तकों के हिंदी में अनुवाद की पहल करने का भी अनुरोध किया है. यह भारत में बड़ी संख्या में हिंदी भाषी आबादी के बीच युद्ध के व्यापक प्रसार में मदद करेगा.
बांग्लादेश ने पहले भी भारतीय सैनिकों और दिग्गजों को सम्मानित किया था और भारत की पूर्व-प्रधान मंत्री, इंदिरा गांधी सहित कई अन्य मान्यता प्राप्त भारतीयों को भी मुक्ति संग्राम में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित किया था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation