भारतीय बार परिषद (बीसीआइ) के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने 13 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान संकट पर चर्चा हेतु पांच सीनियर जजों को छोड़कर शीर्ष अदालत के अन्य सभी जजों से मिलने के लिए सात सदस्यीय दल का गठन किया.
बीसीआई ने एक प्रस्ताव पारित करके कहा कि सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने से उत्पन्न स्थिति का किसी राजनीतिक दल या नेता को अनुचित फायदा नहीं उठाना चाहिए. वकीलों की शीर्ष संस्था ने कहा कि वह अन्य जजों की राय लेगी. बीसीआई का नजरिया है कि जजों के इस तरह के मुद्दे सार्वजनिक नहीं होने चाहिए.
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हाल ही में शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों न्यायमूर्ति चलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ एक तरह से विद्रोह करते हुए मामलों के एकतरफा तरीके से आवंटन सहित कई मुद्दे उठाये थे.
गौरतलब है इस विवाद पर भारतीय बार परिषद के सभी सदस्यों ने 13 जनवरी 2018 को बैठक की. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि न्याय प्रणाली को किसी भी तरीके से आघात नहीं पहुंचने दिया जायेगा. बीसीआइ ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों से सहयोग की अपील की है.
पृष्ठभूमि:
भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा न्यायाधीशों ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे. इस संवाददाता सम्मेलन में चारों न्यायाधीशों ने सर्वोच्च अदालत की कार्यप्रणाली में प्रशासनिक व्यवस्थाओं का पालन नहीं किए जाने और सुनवाई के लिए महत्वपूर्ण मुकदमों के आवंटन में मनमाना रवैया अपनाने का आरोप लगाया.
भारतीय बार परिषद (बीसीआइ):
भारतीय बार परिषद भारत में विधि संस्थानों की नियामक संस्था है. यह एक स्वायत्त संस्थान है. यह परिषद व्यावसायिक आचरण एवं शिष्टाचार एवं विधि शिक्षा के मानक तय करती है. इसकी स्थापना 1961 में हुई थी.
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