भारतीय राजमुद्रा के चित्रकार दीनानाथ भार्गव का 89 वर्ष की अवस्था में इंदौर में निधन हो गया. अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त चित्रकार भार्गव लगभग एक दशक से हार्ट की बिमारी से ग्रसित थे और उनकी एंजियोप्लास्टी भी हुई.
चित्रकार दीनानाथ भार्गव देश के राष्ट्रीय चिह्न (अशोक का सिंह स्तंभ) और संविधान की मूल प्रति के पन्ने संवारने वाली टीम के सदस्य रहे.
चित्रकार दीनानाथ भार्गवके बारे में-
- दीनानाथ भार्गव का जन्म 1 नवंबर 1927 को हुआ.
- मध्य प्रदेश के जनपद बैतूल के गांव मुलताई में जन्मे दीनानाथ भार्गव कला भवन शांति निकेतन के कला गुरू नन्दलाल बोस के शिष्य थे.
- नन्दलाल बोस ने ही दीनानाथ भार्गव को भारतीय संविधान की पांडुलिपि पृष्ठों को डिजाइन करने वाली टीम में चुना
- वरिष्ठ चित्रकार दीनानाथ भार्गव प्रचार-प्रसार से दूर अपने रचनाकर्म में डूबे रहे.
- उनके रचनात्मक धैर्य और संयम के गवाह उनके द्वारा उकेरे गए उनके चित्र हैं.
- उनके चित्रों में एकाग्र और गहरे चित्रकर्म की अभिव्यक्तियां भी हैं.
- शांति निकेतन में चित्रकला की दीक्षा लेने के बाद वह वॉश टेकनिक और वेजीटेबल डाई से चित्रकारी करने वाले बेजोड़ चित्रकार रहे.
- मधुबनी पेंटिंग को कपड़ों में उतारने का श्रेय भार्गव को जाता है.
- डबल डेकर लूम और चंदेरी साड़ियों में नए ताने-बाने का शुभारम्भ उन्होंने हजी किया.
- पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के समय में उन्होंने ग्वालियर में कारपेट बनाने का शुभारम्भ किया.
- मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया गया.
- पचास के दशक में यूरोप के वर्ल्ड आर्ट टूर में भी उनकी पेंटिंग्स को शामिल किया गया. इसमें उन्हें गोल्ड मैडल जीता.
सुविचारित रंगयोजना और डिटेलिंग-
- उनके चित्रों में अधिकतर आदिवासी जनजीवन के साथ ही भारतीय पौराणिक प्रसंगों और संदर्भों से सम्बन्धित चित्रकारी का दर्शन होता है.
- उनके चित्रों में सटीक रेखांकन और उनकी रंगयोजना सुव्यवस्थित है.
- चित्रों में डिटेलिंग को लेकर बहुत ही लक्षणता देखी जा सकती है.

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