इंडसइंड बैंक और देश के दूसरी सबसे बड़ी माइक्रो फाइनेंस कंपनी भारत फाइनेंशियल इंक्लूजन लिमिटेड (बीएफआइएल) ने विलय की घोषणा की है. माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री के इस सबसे बड़े विलय के लिए सभी शेयरों का अधिग्रहण किया जाएगा. बीएफआइएल के इस विलय से इंडसइंड बैंक को 68 लाख नये ग्राहक मिलेंगे.
इंडसइंड बैंक बीएफआइएल का अधिग्रहण करने के बाद देश के ग्रामीण क्षेत्र तक अपनी पहुंच बना सकेगा और उसके नेटवर्क का इस्तेमाल करके छोटे कर्ज देने की लागत को कम कर सकेगा. दोनों कम्पनियों के मध्य काफी समय से इस मामले को लेकर बातचीत की जा रही थी.
वर्तमान में इंडसइंड बैंक के ग्राहकों की संख्या लगभग एक करोड़ है. हाल ही में कोटक महिंद्रा और आइडीएफसी बैंक जैसे प्राइवेट बैंकों ने शहर केंद्रित कई घोषणाएं की हैं. इन घोषणाओं से इन बैंकों की छोटे कर्जदारों को लोन देने की लागत में कमी आएगी क्योंकि वे सस्ते जमा का उपयोग कर सकेंगे.
इंडसइंड बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर व चीफ एक्जीक्यूटिव रमेश सोबती के अनुसार इंडसइंड बैंक को सबसे बड़ा फायदा ग्रामीण नेटवर्क का होगा. इससे हमारी फंड लागत करीब तीन-चार फीसद कम हो जाएगी. इससे पहले बैंक और बीएफआइएल के निदेशक मंडलों ने विलय और शेयर स्वैपिंग रेशियो के प्रस्तावों को मंजूरी दी. प्रस्ताव के तहत पीएफआइ के शेयरधारकों को 1000 शेयरों पर इंडसइंड के 639 शेयर मिलेंगे.
प्रमुख तथ्य-
बीएफआइएल समूची पूंजी, एसेट और लायबिलिटी इंडसइंड को मिल जाएगी. बीआइएफएल की पूरी टीम इंडसइंड बैंक की सहायक कंपनी और बिजनेस कोरेस्पोंडेट के रूप में स्वतंत्र रूप से काम करेगी.
विलय के बाद इंडसइंड बैंक के कुल कर्मचारी 40 हजार होंगे. बीएफआइएल के 15 हजार कर्मचारी पूर्ववत सेवा शर्तो पर काम करते रहेंगे. हिंदूजा ग्रुप के बैंक इंडसइंड बैंक के बोर्ड में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
इंडसइंड बैंक की रणनीति-
इस विलय के बाद इंडसइंड बैंक गांवों में आसानी से अपनी पहुंच बना सकेगा. बैंक की कुल 1210 शाखाओं में से इस समय गांवों में सिर्फ 250 शाखाएं हैं. दूसरी ओर बीएफआइएल का नेटवर्क पूरे देश में एक लाख गांवों तक फैला है. विलय के बाद वह ग्राहकों को महज माइक्रो फाइनेंस कंपनी के बजाय पूरे बैंक के तौर पर सेवाएं दे सकेगी.
बीएफआइएल के गैर कार्यकारी चेयरमैन पी. एच. रवि कुमार के अनुसार माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री में विलय आसान नहीं होता है. विलय की घोषणा ऐसे समय में की गई है जब आंध्र प्रदेश में एमएफआइ एक्ट पारित हुआ है. इससे एमएफआइ सेक्टर के लिए अस्तित्व बचाये रख पाना खासा मुश्किल होगा. नियामकीय सख्ती के कारण बीएफआइएल को विलय के लिए मजबूर होना पड़ा.
बीएफआइएल-
इस बीएफआइएल कंपनी की शुरुआत माइक्रो फाइनेंस की मशहूर हस्ती विक्रम आकुला ने एसकेएस माइक्रोफाइनसेंस के रूप में की. वर्ष 2010 में कंपनी माइक्रो फाइनेंस सेक्टर का पहला आइपीओ लेकर आई.
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