संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी ने यह कहा है कि दुनिया - विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों - ने वर्ष, 2020 में वायु प्रदूषकों के उत्सर्जन में एक संक्षिप्त, तेज गिरावट का अनुभव किया है, जोकि वैश्विक महामारी COVID के कारण लागू किए गये लॉकडाउन उपायों और संबंधित यात्रा प्रतिबंधों के कारण संभव हुए थे.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अपनी पहली वायु गुणवत्ता और जलवायु बुलेटिन जारी करते हुए यह आगाह किया था कि, प्रदूषण में आई यह कमी बहुत ही कम थी और दुनिया के कई हिस्सों ने ऐसे प्रदुषण के ऐसे स्तर दिखाए जो वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों में वर्णित सीमा से कहीं अधिक हैं.
COVID-19: एक अनियोजित वायु गुणवत्ता प्रयोग
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के महासचिव, पेटेरी तालास ने यह कहा है कि, कोरोना वायरस एक अनियोजित वायु-गुणवत्ता वाला प्रयोग साबित हुआ और इससे वायु गुणवत्ता में अस्थायी स्थानीय सुधार हुआ है.
WMO का यह अध्ययन वायु गुणवत्ता में संक्षिप्त लाभ दिखाता है: मुख्य विवरण
• विश्व मौसम विज्ञान संगठन के इस अध्ययन में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और ओजोन सहित मुख्य प्रदूषकों के आसपास हवा की गुणवत्ता में बदलाव का विश्लेषण किया गया है.
• जिनेवा स्थित इस संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने नोट किया है कि, प्रदूषक उत्सर्जन में अभूतपूर्व कमी आई है क्योंकि दुनिया भर में कई सरकारों ने स्कूलों को बंद कर दिया है, सभाओं को प्रतिबंधित कर दिया है, और तालाबंदी/ लॉकडाउन कर दी है.
• WMO ने वर्ष, 2020 में नाइट्रोजन ऑक्साइड के औसत स्तर में लगभग 70% तक की गिरावट का भी हवाला दिया है, जोकि बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन के जलने और परिवहन के माध्यम से उत्सर्जित होते हैं.
• इस एजेंसी ने वर्ष, 2015 से वर्ष, 2019 की समान अवधि की तुलना में वर्ष, 2020 में पूर्ण लॉकडाउन उपायों के दौरान हवा में छोटे कणों के औसत स्तर की 40% गिरावट को भी नोट किया है, जोकि दक्षिण पूर्व एशिया में दर्ज की गई सबसे बड़ी गिरावट है.
COVID-19 लॉकडाउन से वायु गुणवत्ता में हुआ सुधार: क्या यह वास्तव में प्रभावशाली है?
WMO के वायुमंडलीय पर्यावरण अनुसंधान प्रभाग के प्रमुख, ओक्साना तरासोवा ने यह कहा कि, प्रमुख वायु प्रदूषकों पर कोरोना वायरस के कारण लागू किये गये लॉकडाउन जैसे उपायों का प्रभाव अल्पकालिक है.
जब गतिशीलता को कम करने के उपायों का मतलब है कि सड़कों पर कोई कार नहीं है, तो हवा की गुणवत्ता में तुरंत सुधार होता है, और जैसे ही ये कारें/ वाहन सड़क पर वापस आते हैं, तुरंत खराब स्थिति वापस आ जाती है.
इसकी तुलना कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्लोबल वार्मिंग के पीछे लंबे समय तक चलने वाली ग्रीनहाउस गैसों से की जाती है, जिनके वायुमंडलीय स्तर को बदलने में कई साल लग सकते हैं.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के बारे में
WMO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो जलवायु विज्ञान, वायुमंडलीय विज्ञान, भूभौतिकी और जल विज्ञान पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है.
यह विश्व मौसम विज्ञान संगठन 193 देशों से बना है. यह अपने सदस्य देशों के संबंधित हाइड्रोलॉजिकल अर्थात जल विज्ञान और मौसम विज्ञान संस्थानों के बीच डाटा, अनुसंधान और सूचना के मुक्त और अप्रतिबंधित आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है.
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