बजट 2017: राजनीतिक चंदे में सुधार की एक पहल

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में बजट 2017 प्रस्तुत किया. इस बजट में राजनीतिक चंदे से जुड़े प्रावधान  को शामिल किया  गया जो देश के लिए राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है.

Feb 23, 2017, 17:34 IST

reforms in Political Funding1 फरवरी 2017 को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया गया। जेटली ने राजनीतिक पार्टी फंडिंग में सुधार प्रक्रिया भी शुरु की।  इसका संकेत प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने 31 दिसम्बर,2016 को दिए अपने भाषण में दिया था। प्रस्तावित सुधार के तहत राजनीतिक पार्टियां एक व्यक्ति से 2,000 रुपए से अधिक नकद चंदा नहीं ले सकती हैं। अब तक नकद चंदा लेने की सीमा 20,000 रुपए थी, यानी यह सीमा 90 फीसदी कम की गई है।  चंदे के रूप में बड़ी रकम चेक अथवा डिजिटल माध्यम से ली जा सकेंगी। सभी राजनीतिक दलों को तय समय पर अपना रिटर्न फाइल करना होगा। पार्टी फंड के लिए दानकर्ता बॉन्ड खरीद सकेंगे। वित्त मंत्री ने कहा पार्टी फंडिंग में पारदर्शिता पर टैक्स में छूट दी जाएगी।

नकद दान की सीमा

आम बजट में सरकार ने राजनीतिक दलों के नकद चंदा लेने की सीमा बीस हजार से घटाकर दो हजार कर दी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ये भी कहा है कि लोग अब तीन लाख से ज्यादा नकद लेनदेन नहीं कर पाएंगे. राजनीतिक दल, दान दाताओं से चेक या डिजिटल माध्यम से चंदा ले सकेंगे।
अब राजनीतिक दल नकद (कैश) में 2000 रुपए तक ही चंदे ले पाएंगे। इससे अधिक चंदे लेने पर उन्हें इनका हिसाब देना होगा। साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट में संशोधन होगा। इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाएंगे। डोनर ये बॉन्ड खरीद सकते हैं, जिन्हें राजनीतिक दलों के रजिस्टर्ड ऑफिस में भुनाया जा सकता है। चंदे के रूप में बड़ी रकम चेक अथवा डिजिटल माध्यम से ली जा सकेगी। सभी राजनीतिक दलों को तय समय पर अपना रिटर्न फाइल करना होगा।
अघोषित दान की राशि कम करने से दान के पैसे का रिकॉर्ड बनाए रखने की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। दरअसल 20,000 नकदी चंदे की आड़ में राजनीतिक पार्टियां अपने पूरे चंदे का 80 से 90 फीसदी चंदा नकद में ही दिखाती थीं। सरकार के नए फैसले से उसपर लगाम लग सकती है।
राजनीतिक दान में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा
अब राजनीतिक पार्टी किसी एक आदमी से सिर्फ 2000 रुपये तक ही कैश में चंदा ले सकती है। चंदे के रूप में बड़ी रकम चेक या डिजिटल पेमेंट के जरिए ली जा सकती है और इसके लिए चुनावी बांड भी जारी किए जाएंगे। राजनीतिक दलों को निर्धारित समय सीमा के भीतर अनिवार्यत: आय कर रिटर्न भरना होगा। अब 2 हजार रुपए से ज्यादा के चंदे का हिसाब राजनीतिक पार्टियों को देना होगा। अब राजनीतिक दल 2000 से अधिक चंदा ऑनलाइन या चेक के तौर पर ही ले सकते हैं। जेटली ने कहा कि राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता जरूरी है।

चुनावी बॉन्ड की शुरूआत
चेक से राजनीतिक चंदा लेने के लिए वित्त मंत्री ने आरबीआई एक्ट में बदलाव की बात कही है. जिसके बाद सरकार इलेक्टोरल बांड यानी चुनावी बॉन्ड जारी करेगी. दान देने वाले ये बॉन्ड तयशुदा बैंकों से खरीद सकेंगे। ये बॉन्ड वो राजनीतिक दलों को दे सकेंगे।
फिर तमाम पार्टियां इन बॉन्ड्स को भुना सकेंगी। अब चूंकि दानदाता अपने खातों में उस पार्टी का नाम नहीं बताएंगे जिसको उन्होंने चंदा दिया है, न ही पार्टियां दानदाताओं का नाम अपने खाते में दर्ज करेंगी- ऐसे में बॉन्ड के जरिए चंदा देने वालों के नाम नहीं उजागर होंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि बॉन्ड  को चेक या ई-भुगतान के जरिये ही खरीदा जा सकता है। ‘‘इस तरह से प्राप्तकर्ता के हाथ में साफ मुद्रा होगी, चंदा देने वालों के हाथ में कर भुगतान वाला धन होगा।’’ उन्होंने कहा-  कुछ राजनीतिक चंदा अब नकद में आना बंद हो गया है, लेकिन यह अभी कम है

रिजर्व बैंक द्वारा कानून में संशोधन का प्रस्ताव
सरकार चुनावी बॉन्ड योजना के नियम रिजर्व बैंक और अन्य स्टेकहोल्डर्स से गहन विचार-विमर्श करने के बाद पेश करेगी। वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में सरकार ने चुनावी बांड जारी करने के लिए रिजर्व बैंक कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है। सरकार चुनावी बॉन्ड के खरीदारों की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करेगी।

 

भारत में राजनीतिक दलों को प्राप्त होने वाले पैसे के बारे में तथ्य
राजनीतिक चंदे को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए सरकार द्वारा आम बजट में कुछ उपायों का प्रस्ताव किए जाने के एक दिन बाद एडीआर ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के वित्तीय मामलों में अब भी पूर्ण पारदर्शिता नहीं अपनाई गई है।
•    अभी हाल ही में आई एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक दलों की कुल घोषित आय 11,367.34 करोड़ बताई गई थी जिसमें से 7,832.98 करोड़ रुपये की आय का जरिया अघोषित था. यानी ये 20-20 हजार रुपये के कम के चंदे बताए गए थे जिनका रिकॉर्ड रखना या बताना उनके लिए जरूरी नहीं था।
•    एडीआर की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राजनीतिक पार्टियों के चंदे का 69 फीसदी हिस्सा अघोषित स्रोतों से आता है जिसकी जानकारी वह चुनाव आयोग और आयकर विभाग को नहीं देते हैं।
•    चुनाव आयोग (ईसी) को दी गयी सूचना के अनुसार, सात राष्ट्रीय और 50 क्षेत्रीय पार्टियों को वर्ष 2004-05 और 2014-15 के दौरान मिली चंदे की धनराशि का 70 प्रतिशत हिस्सा अज्ञात स्रोतों से आया था।
•    2004 से 2015 के बीच हुए 71 विधानसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों ने कुल 3368.06 करोड़ रुपए जमा किए गए थे, इसमें 63 फीसदी हिस्सा कैश से आया। वहीं 2004, 2009 और 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में चेक के जरिए सबसे ज्यादा चंदा (1,300 करोड़ यानी 55 फीसदी) इकट्ठा किया गया जबकि, 44 फीसदी राशि 1,039 करोड़ रुपए कैश में मिले।
•    2004-05 से 2015-16 के अधिकांश वक्त सत्तारुढ़ रही कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा 3982 करोड़ रुपए मिले जिसमें 3323 करोड़ रुपए यानी क़रीब 83 फीसदी पैसों के स्रोत अज्ञात है।
•    केंद्र में फिलहाल सत्तारुढ़ बीजेपी को 2004-05 से 2014-15 के बीच कुल 3272 करोड़ रुपए चंदे के तौर पर मिले, जिसमें 2126 करोड़ रुपए, यानि तक़रीबन 65 फीसदी, का स्रोत मालूम नहीं है।
•    2014-15 के दौरान बीएसपी ने कुछ 764 करोड़ रूपये की दान राशि का खुलासा किया था और जानकारी दी कि यह पूरी धनराशि अज्ञात स्त्रोतों से मिली है।
•    समाजवादी पार्टी को 819 करोड़ रूपये का चंदा प्राप्त हुआ जिसमें से 766 करोड़ रूपये यानि 94 फीसद हिस्सा अज्ञात स्त्रोतों से मिला था।

 

यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!

एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप

AndroidIOS

Trending

Latest Education News