केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्कूली शिक्षा के लिए समग्र शिक्षा योजना को 01 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2026 तक आगामी पांच साल के लिए जारी रखने की मंजूरी दी है.
इस योजना में 01.16 मिलियन स्कूल, 156 मिलियन छात्र और सरकारी एवं सहायता प्राप्त स्कूलों के 05.07 मिलियन शिक्षक पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक शामिल होंगे.
इस योजना को कुल 2,94,283.04 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया है जिसमें से 1,85,398.32 करोड़ रुपये केंद्र सरकार के द्वारा प्रदान किये जायेंगे.
समग्र शिक्षा योजना क्या है?
• समग्र शिक्षा योजना एक एकीकृत योजना रही है जिसका उद्देश्य स्कूल की पहली कक्षा से बारहवीं कक्षा तक की पूरी स्कूली शिक्षा को कवर करना है.
• इस योजना, जो शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य (SDG-4) के अनुरूप है, का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले.
• इसका उद्देश्य एक समान और समावेशी कक्षा का वातावरण बनाना है जो बच्चों की विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी जरूरतों और विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ध्यान रखते हुए, उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनने के लिए प्रोत्साहित करेगा.
• शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह बताया कि, इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में प्ले स्कूल भी होंगे और शिक्षकों को उसी के अनुसार प्रशिक्षण दिया जाएगा.
समग्र शिक्षा योजना के प्रमुख प्रस्ताव
- इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और रिटेंशन सहित यूनिवर्सल एक्सेस
- मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता
- लिंग और समानता
- समावेशी शिक्षा
- गुणवत्ता और नवाचार
- शिक्षक वेतन के लिए वित्तीय सहायता
- डिजिटल पहल
- वर्दी, पाठ्यपुस्तक आदि सहित RTE पात्रताएं
- ECCE के लिए समर्थन
- व्यावसायिक शिक्षा
- खेल और शारीरिक शिक्षा
- शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण का सुदृढ़ीकरण
- निगरानी
- कार्यक्रम प्रबंधन
- राष्ट्रीय घटक.
प्रभाव
इस समग्र शिक्षा योजना का उद्देश्य वंचित समूहों और कमजोर वर्गों के समावेश के माध्यम से समानता को बढ़ावा देने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्कूली शिक्षा तक पहुंच को सार्वभौमिक बनाना है.
प्रमुख उद्देश्य
• राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP, 2020) की सिफारिशों को लागू करना.
• बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का क्रियान्वयन.
• बहुत छोटे बच्चों की देखभाल और शिक्षा.
• मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर जोर.
• गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रावधान और छात्रों के सीखने के परिणामों में वृद्धि.
• सुरक्षित, संरक्षित और अनुकूल शिक्षण वातावरण सुनिश्चित करना और स्कूली शिक्षा के प्रावधानों में मानकों को कायम रखना.
• व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देना.
• शिक्षक प्रशिक्षण के लिए नोडल एजेंसी के तौर पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषदों (SCERTs)/ राज्य शिक्षा संस्थानों और शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए जिला संस्थानों (DIET) का सुदृढ़ीकरण और उन्नयन करना.
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