केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11 अप्रैल 2018 को भारत और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के बीच मुख्यालयों (मेजबान देश) में प्रवेश के लिए हुए समझौते और मुख्यालय समझौते पर हस्ताक्षर के लिए विदेश मंत्रालय को अधिकृत करने की मंजूरी दे दी है. इस समझौते पर 26 मार्च 2018 को हस्ताक्षर किए गए थे.
समझौते से फायदा:
- मुख्यालय समझौते से भारत और आईएसए के बीच कामकाजी प्रबंधों को संस्थागत रूप मिलेगा.
- इससे आईएसए को अंतर्राष्ट्रीय अंतर सरकारी संगठन बनने में मदद मिलेगी.
- आईएसए के बनने से तेजी से सौर प्रोद्योगिकी विकसित और तैनात हो सकेगी.
उपर्युक्त लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आईएसए को कई और बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय दानदाता एजेंसियों से वित्तीय साझेदारियां करने की जरूरत है.
आईएसए को कर छूट समेत अन्य विशेषाधिकार होगा जो आईएसए के मुख्यालय को स्वतंत्र रूप से अपना कार्य करने और कार्यक्रम चलाने के लिये जरूरी है.आईएसए को सोलर या सौर क्षेत्र में 1000 अरब अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा का निवेश जुटाने और 1000 गीगावाट से भी ज्यादा सौर क्षमता स्थापित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है.
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन:
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सौर ऊर्जा पर आधारित 121 देशों का एक सहयोग संगठन है जिसका शुभारंभ भारत और फ्राँस द्वारा 30 नवंबर 2015 को पेरिस में किया गया था.
यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई पहल का परिणाम है जिसकी घोषणा उन्होंने सर्वप्रथम लंदन के वेंबली स्टेडियम में अपने उद्बोधन के दौरान की थी.
यह संगठन कर्क व मकर रेखा के बीच स्थित राष्ट्रों को एक मंच पर लाएगा. ऐसे राष्ट्रों में धूप की उपलब्धता बहुलता में है.
इस संगठन में ये सभी देश सौर ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे. इस प्रयास को वैश्विक स्तर पर ऊर्जा परिदृश्य में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.
इस संगठन का अंतरिम सचिवालय राष्ट्रीय सौर उर्जा संस्थान, गुड़गांव में बनाया गया है.
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