प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट की 03 जून 2020 को हुई बैठक में कई फैसलों को मंजूरी दी गई. आवश्यक वस्तु अधिनियम और मंडी कानून में संशोधन किया गया है और कृषि उत्पादों के भंडारण की सीमा खत्म कर दी गई है. केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कोरोना वायरस संकट के दौरान सरकार ने किसानों के हित में फैसले लिए.
केंद्र सरकार कृषि उत्पादन ट्रेड और कामर्स (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दे दी जो 'वन इंडिया, वन एग्रीकल्चर मार्केट' बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा. प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया है. इसके तहत अब पूरे देश में किसानों के लिए वन नेशन वन मार्केट होगा. यानी किसान अपनी पैदावार कहीं भी बेच सकेंगे. कैबिनेट की मुहर के बाद अब आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी.
केंद्रीय कानून तैयार किया जायेगा
किसानों की उपज को अच्छा मूल्य उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त विकल्प प्रदान करने को एक केंद्रीय कानून तैयार किया जाएगा. इससे बाधा रहित अंतरराज्यीय व्यापार और कृषि उपज के ई-ट्रेडिंग की रूपरेखा तैयार की जा सकेगी. ऐसा हो जाने के बाद किसान अपनी उपज को कहीं भी बेच सकेंगे.
बता दें कि आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. हालांकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने की जरूरत के लिहाज से इसमें बदलाव किया जाएगा. इससे कृषि सेक्टर को ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी.
आज की कैबिनेट मीटिंग में कई बड़े और महत्वपूर्ण निर्णय किए गए। फसलों की खरीद-बिक्री को लेकर सभी बंदिशों को हटा दिया गया है, जिससे किसानों की दशकों पुरानी मांग पूरी हुई है। अब अन्नदाता देश में कहीं भी अपनी उपज को बेचने के लिए स्वतंत्र होगा। https://t.co/GnSf0kwqpo
— Narendra Modi (@narendramodi) June 3, 2020
किसान अपनी उपज को कहीं भी बेच सकेगें
आवश्यक वस्तु अधिनियम की सूची से खाद्यान्न, तिलहन और दलहन फसलों के साथ प्याज और आलू जैसी प्रमुख फसलों को बाहर कर दिया गया है. केंद्र सरकार के इस फैसले से किसान अपनी उपज को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगे. उनके ऊपर राज्यों के उलझे हुए मंडी कानून लागू नहीं होंगे. उन्हें अंतरराज्यीय व्यापार करने की अनुमति मिल जाएगी. इसे 'मूल्य आश्वासन व कृषि सेवाओं के करारों के लिए किसानों का सशक्तीकरण और संरक्षण अध्यादेश-2020' के नाम से जाना जाएगा.
भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा फायदा
केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि प्रस्तावित संशोधनों के बाद किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की छूट मिल जाएगी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत लाभकारी साबित होगा. कृषि अर्थव्यवस्था में जरूरी सुधारों की सख्त जरूरत को सरकार ने समझा और इसे पूरा किया. भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में फिलहाल कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत तक है, जबकि इस पर देश की 53 प्रतिशत आबादी निर्भर है.
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