केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने महानदी नदी जल विवाद के न्यायिक निपटारे के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई. न्यायाधिकरण सम्पूर्ण महानदी बेसिन में पानी की सम्पूर्ण उपलब्धता, प्रत्येक राज्य के योगदान, प्रत्येक राज्य में जल संसाधनों के वर्तमान उपयोग और भविष्य के विकास की संभावना के आधार पर जलाशय वाले राज्यों के बीच पानी का बंटवारा निर्धारित करेगा.
अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद कानून, 1956:
अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) कानून, 1956 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होंगे, जिन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में से मनोनीत करेंगे. इसके अलावा जल संसाधन विशेषज्ञ दो आकलनकर्ताओं की सेवाएं न्यायाधिकरण की कार्यवाही में सलाह देने के लिए प्रदान की जाएंगी.
न्यायाधिकरण को अपनी रिपोर्ट और फैसले तीन वर्ष की अवधि के भीतर देने होंगे, जिसे अपरिहार्य कारणों से दो वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है. न्यायाधिकरण द्वारा विवाद के न्यायिक निपटारे के साथ ही महानदी नदी पर ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों के बीच लंबित विवाद का अंतिम निपटारा हो सकेगा.
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महानदी नदी जल विवाद?
महानदी के जल-बँटवारे को लेकर पहला समझौता अविभाजित मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और ओड़िशा के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेबी पटनायक के बीच 28 अप्रैल 1983 को हुआ था. इसमें तय किया गया था कि नदी पर बाँध निर्माण सम्बन्धी कोई विवाद सामने आता है तो उसका निराकरण अंतरराज्यीय परिषद करेगी.
महानदी:
• यह छत्तीसगढ़ और उड़ीसा अंचल की सबसे बड़ी नदी है.
• इस नदी को महानन्दा एवं नीलोत्पला के नाम से भी जाना जाता है.
• महानदी का प्रवाह दक्षिण दिशा से उत्तर की ओर है.
• महानदी का उद्गम रायपुर के समीप धमतरी जिले में स्थित सिहावा नामक पर्वत श्रेणी से हुआ है.
• महानदी का डेल्टा कटक नगर से लगभग सात मील पहले से शुरू होता है. यहाँ से यह कई धाराओं में विभक्त हो जाती है तथा बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है.
• महानदी ने छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक नदी-सभ्यता को जन्म दिया है. छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी सिरपुर महानदी के तट पर स्थित है.
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