केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 अगस्त 2018 को भारत और मोरक्को के बीच हवाई सेवाओं के लिए संशोधित समझौते पर हस्ताक्षर की अनुमति दे दी है. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई.
नए समझौते के प्रभावी होने के साथ ही दिसंबर 2004 में किया गया मौजूदा समझौता स्वत: निष्प्रभावी हो जाएगा.
समझौते से होने वाले लाभ: |
नया समझौता से दोनों देशों के बीच व्यापार निवेश, पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा. यह समझौता व्यापक सुरक्षा और संरक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही दोनों देशों की विमान सेवाओं के लिए व्यापारिक संभावनाएं उपलब्ध कराएगा और निर्बाध हवाई संपर्क के लिए अनुकूल वातावरण भी तैयार करेगा. यह समझौता नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में भारत और मोरक्को के बीच आपसी संबंध को बढ़ायेगा. |
समझौते से संबंधित मुख्य विशेषताएं:
• दोनों देशों की विमानन कंपनियां विभिन्न तरह की सेवाओं के लिए कोड शेयरिंग कर सकती हैं.
• प्रत्येक पक्ष की निर्दिष्ट एयर लाइन विपणन के लिए परस्पर करार कर सकती हैं। वे दूसरे पक्ष या तीसरी पार्टी के साथ भी ऐसा समझौता कर सकती हैं.
• समझौते के जरिए दोनों देशों की कोई भी निर्दिष्ट एयर लाइन हवाई सेवाओं की बिक्री और विज्ञापन के लिए एक दूसरे के यहां अपने कार्यालय खोल सकती हैं.
• हवाई सेवा समझौते (एएसए) द्वारा निर्धारित मार्गों पर चिन्हित छह स्थानों से दोनों देशों की एयर लाइनें एक दूसरे के यहां जितनी संख्या में चाहे सेवाएं दे सकती हैं.
• इस व्यवस्था के तहत भारत की निर्दिष्ट एयर लाइनें मोरक्को के कासाब्लांका, रबात, माराकेश, अगादीर, तांगीर और फेज से आने जाने के लिए अपनी सेवाएं दे सकती हैं. इसी तरह मोरक्को की निर्दिष्ट एयर लाइनें नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलूरू और हैदराबाद आने जाने के लिए अपनी सेवाएं उपलब्ध करा सकती हैं.
• हवाई सेवा समझौते में विमान सेवाओं के संचालन की अनुमति, संचालन नियमों, व्यवासायिक संभावनाओं तथा सुरक्षा और संरक्षा से जुड़ी व्यवस्थाओं को निलंबित करने या खत्म करने की भी व्यवस्था है.
पृष्ठभूमि:
नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों तथा दोनों देशों के बीच हवाई सेवाओं को आधुनिक और निर्बाध बनाने के उद्देश्य से मौजूदा हवाई सेवा समझौते में संशोधन किया जा रहा है.
भारत और मोरक्को के बीच मौजूदा हवाई सेवा समझौता वर्ष 2004 में किया गया था. इसमें निर्दिष्ट एयर लाइनों की सुरक्षा, संरक्षा और वाणिज्यिक गतिविधियों से जुड़े प्रावधानों में समय के अनुरूप बदलाव की व्यवस्था नहीं थी.
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