केंद्रीय कैबिनेट ने 22 मार्च 2017 को शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता हासिल करना जरूरी बनाने के लिए शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
इसके अंतर्गत अब प्राथमिक पाठशालाओं (आठवीं तक के स्कूल) में नौकरी कर रहे शिक्षकों हेतु न्यूनतम योग्यता हासिल करना अनिवार्य होगा. इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा.
शिक्षा का अधिकार कानून में संशोधन से सेवारत अप्रशिक्षित प्राथमिक शिक्षक अपना प्रशिक्षण पूरा कर सकेंगे, जो शिक्षण गुणवत्ता के स्तर बनाए रखने के लिए जरूरी है.
शिक्षकों को प्रशिक्षण हासिल करने की अवधि बढ़ाकर 31 मार्च 2019 कर दी गई है. आरटीई कानून के अंतर्गत सभी सेवारत शिक्षकों को वर्ष 2015 तक ही यह प्रशिक्षण दिलाया जाना था, लेकिन सरकार इसे अमल में नहीं ला सकी.
संशोधन से सुनिश्चित होगा कि सभी शिक्षक 31 मार्च 2015 की स्थिति में शैक्षणिक अधिकारी की ओर से निर्धारित न्यूनतम योग्यताएं हासिल करें ताकि ऐसे प्रशिक्षण की अवधि चार साल हेतु बढ़ाकर 31 मार्च 2019 तक किया जा सके.
इस कानून की धारा 23(2) में कहा गया है कि इस कानून के प्रभावी होते वक्त प्रारंभिक स्तर के सभी शिक्षकों, जिनके पास शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंतर्गत निर्धारित न्यूनतम योग्यताएं नहीं हैं, उन्हें हासिल करना होगा.
इससे शिक्षकों, शिक्षण की प्रक्रियाओं एवं बच्चों के सीखने के परिणामों की समग्र गुणवत्ता में सुधार होगा तथा प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर सरकार का फिर से जोर बढ़ सकेगा.
शिक्षा का अधिकार कानून अप्रैल 2010 में लागू हुआ था. इस कानून के तहत 6 वर्ष से 14 वर्ष की उम्र के हर बच्चे के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का प्रावधान है.
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