ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (ग्लोबोकेन) द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में पिछले छह वर्षों में भारी वृद्धि दर्ज की गई है. यह आंकड़े वर्ष 2012 से 2018 तक के हैं. इन आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में लगभग 11.57 लाख कैंसर के मामलें दर्ज किये गए, जो कि वर्ष 2012 में दर्ज 10 लाख मामलों की तुलना में 15.7 प्रतिशत अधिक हैं.
अध्ययन रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
• वर्ष 2012 में कैंसर के कारण सात लाख लोगों की मौत हुई थी जबकि वर्ष 2018 में कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या में 12.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.
• अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार होंठ और ओरल कैंसर की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि देखने को मिली है. वर्ष 2012 की तुलना में अब तक 114.2% की वृद्धि दर्ज की गई है.
• वर्ष 2018 में 1.62 लाख स्तन कैंसर के मामले सामने आए जो कि वर्ष 2012 की तुलना में10.7 प्रतिशत अधिक हैं. वर्ष 2012 के 1.45 लाख मामले सामने आये थे.
• गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के मामलों की संख्या में 21.2 प्रतिशत की गिरावट आई है. वर्ष 2018 में मात्र 96,922 मामले ही सामने आए जबकि वर्ष 2012 में 1.23 लाख गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के मामले दर्ज किये गए थे.
ग्लोबोकेन |
ग्लोबोकन कैंसर नियंत्रण एवं अनुसंधान के संबंध में कैंसर के वैश्विक आँकड़े प्रस्तुत करने वाला एक इंटरैक्टिव वेब-आधारित मंच है. आईएआरसी (अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी) द्वारा हाल ही में प्रकाशित ग्लोबोकन, 2018 डेटाबेस में विश्व के 185 देशों में 36 प्रकार के कैंसर के कारण होने वाली घटनाओं और मृत्यु दरों का अनुमान व्यक्त किया गया है. |
भारत में ओरल कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी
धूम्रपान, गुटखा या अधिक शराब पीने वाले लोगों में ओरल कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में ओरल कैंसर के मरीज पूरे विश्व में सबसे अधिक हैं. ओरल कैंसर के करीब 90 प्रतिशत मरीज तंबाकू का सेवन करते हैं. हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 की तुलना में अब तक 114.2% की वृद्धि दर्ज की गई है.
मुंह के अंदर छाले 15 दिन यह उससे अधिक समय के बाद भी ठीक न होना, गले, मुंह में गांठ महसूस होना, आवाज़ में बदलाव आना, खाना निगलने में दिक्कत महसूस होना, मसूड़ों का सूजना या खून आना आदि लक्षणों के दिखने पर मुंह के कैंसर की जांच कराई जानी चाहिए.
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