जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु कार्बन टैक्स जरूरी: विश्व बैंक

Sep 21, 2018, 11:14 IST

इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इकोनॉमिक्स के अनुसार वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री इस पर एकमत हैं कि अर्थव्यवस्थाओं को व्यवहार में बदलाव लाने का संकेत देने का सबसे अच्छा तरीका कार्बन शुल्क है.

Carbon taxes necessary in climate fight: World Bank
Carbon taxes necessary in climate fight: World Bank

विश्व बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रिस्टलीना जॉर्जिया ने जलवायु परिवर्तन पर कनाडा में 20 सितंबर 2018 को हुई जी-7 की बैठक में कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन पर कर लगाना या कार्बन प्रदूषण पर शुल्क लगाना जरूरी है.

प्रति टन कार्बन उत्सर्जन पर शुल्क आकलन की प्रक्रिया का हवाला देते हुए विश्व बैंक ने कहा कि हमारा मानना है कि कार्बन के लिए एक शैडो शुल्क तय करके हम एक आर्थिक संकेत दे सकते हैं.

46 देशों ने शुल्क लागू किया:

इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इकोनॉमिक्स के अनुसार वैज्ञानिक और अर्थशास्त्री इस पर एकमत हैं कि अर्थव्यवस्थाओं को व्यवहार में बदलाव लाने का संकेत देने का सबसे अच्छा तरीका कार्बन शुल्क है. 01 अप्रैल 2018 से 46 देशों और 26 द्वीपीय सरकारों ने कार्बन शुल्क लागू किया है.

कर के तहत कंपनियों को दिया जाएगा कोटा:

कर के तहत सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों को कोटा दिया गया है. उन्हें साथ ही अन्य कंपनियों के साथ कोटे की खरीद-बिक्री का अधिकार भी दिया गया है. इन नीतियों के तहत एक टन उत्सर्जित कार्बन का मूल्य एक डॉलर से लेकर 133 डॉलर तक तय किया गया है.

                                                                    कार्बन कर क्या है?

कार्बन कर एक अप्रत्यक्ष कर है. यह उन आर्थिक गतिविधियों पर लगाया जाता है जिनसे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनजीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके द्वारा सरकारें अपना राजकोष भी संवर्धित करती हैं. इस कर से दो अन्य कर भी संबंधित हैं- उत्सर्जन कर और ऊर्जा कर. उत्सर्जन कर जहाँ प्रत्येक टन हरितगृह गैस के उत्सर्जन पर लगने वाला कर है, वहीं ऊर्जा कर ऊर्जा से संबंधित वस्तुओं पर आरोपित कर है. संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 में बढ़ते हरितगृह गैस के स्तर को नियंत्रित करने तथा इससे पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने की दिशा में पहल की.

भारत में कार्बन कर:

भारत मे 01 जुलाई 2010 से कार्बन कर को लागू कर दिया गया है. वर्तमान मानक के अनुसार प्रति मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन पर 50 रुपये कर स्वरूप संबंधित कम्पनियों को अदा करना पड़ता है. भारत कार्बन कर को स्वविवेक पहल प्रक्रिया और पर्यावरण पर राष्ट्रीय कार्ययोजना के क्रियान्वयन के लिए दायित्वबोध से प्रेरित होकर कर रहा है.

अन्य देश:

हालांकि इस दिशा में पहले से पहल करते हुए फिनलैण्ड ने वर्ष 1990 मे अपने यहाँ कार्बन कर लगाने की शुरुआत की. ऐसा करने वाला फिनलैण्ड पहला राष्ट्र है. तत्पश्चात स्वीडन और ब्रिटेन ने वर्ष 1991 में इस प्रक्रिया को अपनी भूमि पर लागू किया.

पृष्ठभूमि:

यूरोपीय संघ ने वर्ष 2005 में अपने यहां एमिशन ट्रेडिंग स्कीम (ईटीएस) लागू की थी. इसका उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन की मात्रा में कमी लाना था. यूरोपीय संघ के अनुसार कार्बन उत्सर्जन में तीन प्रतिशत भागीदारी विमानों से फैलने वाले प्रदूषण की है. इसे रोकने हेतु संघ ने यूरोप के हवाई अड्डों का इस्तेमाल करने और वहां के आकाश से गुजरने वाले विमानों पर कार्बन उत्सर्जन टैक्स लगाने की घोषणा की थी.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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