केन्द्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड (CBDT) ने 28 मार्च 2016 को 11 एकपक्षीय अग्रिम मूल्यनिर्धारण समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इस कदम के बाद भारत ने अब तक 59 द्विपक्षीय और एकपक्षीय मूल्यनिर्धारण समझौतों पर हस्ताक्षर कर दिए है.
अग्रिम मूल्यनिर्धारण समझौता कार्यक्रम को वित्त अधिनियम 2012 के तहत शुरू किया गया था, ताकि पूर्वानुमेय और गैर विरोधात्मक कर व्यवस्था प्रदान की जा सके और भारतीय अंतरण मूल्यनिर्धारण व्यवस्था संबंधी विवादों में कमी आ सके.
वर्तमान वित्त वर्ष में इस तरह के 50 समझौते 2015-16 मे किए गए.
समझौतों की मुख्य विशेषताएं:
• ये समझौता कई अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन में शामिल हैं, जिनमें कारपोरेट गारंटी, रॉयलटी, सॉफ्टवेयर विकास सेवाएं, सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएं और ट्रेडिंग भी शामिल हैं.
• समझौतों का संबंध दूर संचार, मीडिया, मोटरवाहन, सूचना प्रौद्यगिकी सेवाएं आदि जैसे विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से है.
• कुछ समझौतों में रोलबैक के प्रावधान भी शामिल हैं और करदाताओं को नौ वर्षों की निश्चितता प्रदान करते हैं तथा इसके दायरे में अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन भी आते हैं.
क्या है रोलबैक प्रावधान?
• अग्रिम मूल्यनिर्धारण समझौतों में रोलबैक प्रावधानों को जुलाई, 2014 में शुरू किया गया और इन्हें मार्च 2015 अधिसूचित किया गया था.
• इसके तहत अग्रिम मूल्यनिर्धारण समझौते के लागू होने के पहले वर्ष से पूर्व चार वर्षों (रोलबैक वर्ष) के लिए अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के मूल्यनिर्धारण के संबंध में निश्चितता प्रदान करता है.
• करदाताओं को यह विकल्प दिया गया कि वे कुल नौ वर्षों (पांच भावी वर्ष और चार पूर्व वर्ष) के लिए सरकार के साथ मूल्यनिर्धारण मुद्दों के अंतरण में निश्चितता चुन सकें.
टिप्पणी:
अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौता योजना के 30 अगस्त 2012 को अधिसूचित हो जाने के बाद समझौते के संबंध में लगभग 580 आवेदन प्राप्त हुए जिनमें लगभग आधे रोलबैक प्रावधानों के आग्रह से संबंधित हैं.
आवेदनों की अधिक संख्या से यह संकेत मिलता है कि भारत के अग्रिम मूल्य निर्धारण कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल रही है और स्पष्ट होता है कि जटिल मूल्यनिर्धारण अंतरण मुद्दों को पारदर्शी तरीके से करने में यह कार्यक्रम सक्षम है.
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