केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर की अध्यक्षता वाली एक समीक्षा बैठक में 15 फरवरी 2017 को यह निर्णय लिया गया कि केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) स्कूलों में केवल राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (एनसीईआरटी) पुस्तकें ही अनिवार्य होंगी.
मंत्रालय द्वारा लिए गये निर्णय के अनुसार शैक्षिक सत्र 2017-18 से देश के सभी सीबीएसई स्कूलों को एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों को ही पाठ्यक्रम में लगाना अनिवार्य होगा.
मुख्य बिंदु
• सत्र 2017-18 से सीबीएसई स्कूलों में निजी प्रकाशकों पर पूरी तरह से रोक लगाने की घोषणा की गयी.
• केवल एनसीईआरटी की ही पुस्तकों द्वारा पढ़ाया जायेगा.
• सीबीएसई द्वारा सभी स्कूलों को इस संदर्भ में सर्कुलर जारी किया गया तथा बच्चों पर महंगे प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने के लिए दबाव न बनाये जाने का निर्देश दिया.
• एनसीईआरटी को पर्याप्त संख्या में मार्च के अंत तक देश भर में पुस्तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया.
• सभी सीबीएसई स्कूलों को 22 फरवरी 2017 तक सीबीएसई की वेबसाइट पर पुस्तकों के लिए आवेदन ऑनलाइन जमा कराना होगा.
टिप्पणी
दरअसल, स्कूल प्रबंधकों द्वारा हर साल सत्र के आरंभ में ही प्रत्येक विषय के अनुसार प्रकाशकों की सूची दी जाती है, जिसके अनुसार बच्चों को अमुक विषय के लिए उसी प्रकाशक की पुस्तक खरीदनी होती है. एनसीईआरटी की एक कक्षा की सारी पुस्तकें अमूमन हज़ार रुपये में मिल जाती हैं वहीं प्राइवेट स्कूल तथा निजी प्रकाशकों के मिले-जुले लाभ के चलते यह पुस्तकें तीन से चार हज़ार रुपये में आती हैं. अभिभावकों द्वारा प्रत्येक वर्ष इस संदर्भ में की जाने वाली शिकायत के बाद मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए सीबीएसई को निर्देश जारी किया तथा सीबीएसई ने आदेश का पालन करते हुए सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की ही पुस्तकें अनिवार्य कर दीं.
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