आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 21 मार्च 2018 को 2017-18 से 2019-20 तक अगले तीन वर्षों के लिए केन्द्रीय क्षेत्र की रेशम उद्योग के विकास के लिए एकीकृत योजना को मंजूरी दे दी है.
योजना के लिए वित्तीय परिव्यय:
मंत्रिमंडल ने वर्ष 2017-18 से 2019-20 के तीन वर्षों में योजना के कार्यान्वयन के लिए 2161.68 करोड़ रूपए के कुल आवंटन की मंजूरी दी गई है. यह योजना केन्द्रीय सिल्क बोर्ड (सीएसबी) के माध्यम से वस्त्र मंत्रालय द्वारा लागू की जाएगी.
योजना के चार भाग:
- अनुसंधान और विकास, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और सूचना प्रौद्योगिकी पहल
- बीज, धागे और रेशम उत्पादों के लिए समन्वय और बाजार विकास
- अंडा संरचना और किसान विस्तार केंद्र
- रेशम परीक्षण सुविधाओं, खेत आधारित और कच्चे रेशम के कोवे के बाद टेक्नोलॉजी उन्नयन और निर्यात ब्रांड का संवर्द्धन करने की श्रृंखला के अलावा गुणवत्ता प्रमाणन प्रणाली.
योजना का मुख्य उद्देश्य:
- इस योजना का मकसद शोध एवं विकास, तकनीक उन्नयन और कौशल गुणवत्ता में सुधार के माध्यम से रेशम उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाना है.
- वस्त्र मंत्रालय के अंतर्गत संबंधित मंत्रालयों की एक अंतर-मंत्रालयी समिति गठित की जाएगी, जो शोध और विकास के लिए एक हजार करोड़ रुपये की धनराशि संवितरित करेगी।
- बीज उत्पादन इकाइयों को उपकरणों की आपूर्ति की जाएगी और उन्हें सुदृढ़ किया जाएगा. उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाएगी ताकि वे भविष्य में रेशम की बढ़ती मांग को पूरा कर सकें.
- डिजिटल इंडिया के अंतर्गत बीज उत्पादन तथा अन्य गतिविधियों में संलग्न किसानों को वेब आधारित समाधान उपलब्ध कराए जायेंगे.
- किसान और बीज उत्पादकों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिये सब्सिडी का सीधा भुगतान किया जाएगा.
- इस योजना के तहत रेशम किसानों, बीज उत्पादकों और चॉकी रेयरर्स के सभी लाभार्थियों को डीबीटी मोड पर आधार लिंकेज के साथ लाया जाएगा.
- शिकायतों और सभी आउटरीच कार्यक्रमों के समय पर निपटाने के लिए एक हेल्पलाइन स्थापित की जाएगी.
महत्व:
- इस योजना से रेशम का उत्पादन निम्नलिखित प्रक्रियाओं के साथ 2016-17 के दौरान 30348 मीट्रिक टन के स्तर से बढ़कर 2019-20 की समाप्ति तक 38500 मीट्रिक टन होने की उम्मीद है.
- यह योजना 2020 तक इस क्षेत्र में 85 लाख रोजागार को बढ़ाकर एक करोड़ करने में मदद करेगी.
- वर्ष 2020 तक आयात के विकल्प के रूप में प्रतिवर्ष 8,500 मीट्रिक टन बाइवोल्टाइन रेशम का उत्पादन किया जायेगा.
- वर्ष 2019-20 की समाप्ति तक रेशम का उत्पादन वर्तमान 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के स्तर से 111 किलोग्राम के स्तर तक लाने के लिए अनुसंधान और विकास पर बल दिया जायेगा.
- इस योजना से महिला अधिकारिता को बढ़ावा मिलेगा और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति तथा समाज के अन्य कमजोर वर्गों को आजीविका के अवसर मिलेंगे.
पहली बार उच्चतम गुणवत्ता वाले रेशम के उत्पादन में सुधार पर स्पष्ट रूप से ध्यान दिया गया है. प्रस्ताव रखा गया है कि वर्ष 2020 तक 4ए ग्रेड के रेशम का उत्पादन शहतूत के उत्पादन का वर्तमान 15 प्रतिशत के स्तर से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया जाए.
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