सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को सभी मोबाइल नंबरों को आधार कार्ड से जोड़ने के आदेश दिए हैं. इसके लिए न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक वर्ष की अवधि का समय निर्धारित किया है.
सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्रीय सरकार को आदेश दिया है कि इस तरह की व्यवस्था निर्धारित की जानी चाहिए जिससे देश में सभी उपभोक्ताओं के मोबाइल नंबर एक साल की अवधी में ही आधार कार्ड से जोड़ दिए जाएं.
प्रीपेड और पोस्ट पेड दोनों ग्राहकों हेतु आदेश-
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश प्रीपेड और पोस्ट पेड दोनों ग्राहकों के लिए जारी किया है.
- सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश एनजीओ द्वारा दायर की गयी याचिका की सुनवाई के बाद जारी किए.
- दायर की गयी याचिका में मांग की गई कि देश में कोई भी मोबाइल नंबर बिना किसी जांच पड़ताल के उपभोक्ता को आवंटित न किया जाए.
- सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका की सुनवाई के बाद ट्राई और केन्द्र सरकार को निर्देश जरी किए कि मोबाइल सिम धारकों की पहचान, पता और सभी डिटेल प्रत्येक स्तर पर उपलब्ध हों.
मोबाइल सिम बिना पहचान पत्र उपभोक्ता को न दिया जाय -
- साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि कोई भी मोबाइल सिम बिना पहचान के उपभोक्ता को प्रदान न किया जाए.
- उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश में 90 फिसदी से अधिक मोबाइल सिमों का इस्तेमाल प्री पेड मोबाइल धारक उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है, जिसमें से कई मोबाइल सिम फर्जी होते हैं जो सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा खतरा हैं.
- न्यायालय के आदेश के बाद अब देश में इस तरह का मैकेनिज्म लाया जाएगा जिससे इन सभी नंबरों को आधार नंबर से जोड़ा जा सके.
- याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने केन्द्र से दो हफ्तो में जबाव मांगते हुए पूछा कि मोबाइल सिम कार्ड रखने वालों की वेरिफिकेशन का तरीका क्या है.
चीफ जस्टिस खेहर ने कहा था कि मोबाइल सिम कार्ड रखने वालों की पहचान न हो तो यह धोखाधड़ी से रुपये निकालने के काम में इस्तेमाल किया जा सकता है.
सरकार को जल्द ही पहचान करने की प्रक्रिया करनी चाहिए, वहीं केंद्र की ओर से कहा गया था कि इस मामले में उसे हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त चाहिए.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते का वक्त दिया है.
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