केंद्र सरकार ने 18 जून 2018 को बाढ़ के बेहतर पूर्वानुमान के लिए गूगल से साझेदारी की है. जल संसाधन क्षेत्र में देश के शीर्ष तकनीकी संगठन केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने सर्च इंजन गूगल के साथ यह समझौता किया.
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने उम्मीद जताई है कि गूगल के साथ गठबंधन से भारत में बाढ़ का कारगर या प्रभावकारी प्रबंधन करने में मदद मिलेगी.
केंद्रीय जल आयोग और गूगल के बीच समझौता:
- इस समझौते के तहत गूगल द्वारा विकसित प्लेटफॉर्मों के माध्यम से बाढ़ पूर्वानुमान और लोगों तक इसकी जानकारी पहुँचाने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और मानचित्रण में उसकी विशेषज्ञता का इस्तेमाल आयोग द्वारा किया जायेगा.
- इस पहल से संकट प्रबंधन एजेंसियों को जल विज्ञान (हाइड्रोलॉजिकल) संबंधी समस्याओं से बेहतर ढंग से निपटने में मदद मिलने की आशा है.
- बाढ़ का पूर्वानुमान तैयार करने में गूगल अपने हाई रिजॉल्यूशन डिजिटल एलिवेशन मॉडल का इस्तेमाल करेगा जबकि केंद्रीय जल आयोग अपनी ओर से जलस्तर, बारिश आदि के नियमित आँकड़े उपलब्ध करायेगा.
- इसके जरिये तीन दिन आगे के लिए नदियों के जलस्तर का पूर्वानुमान जारी किया जा सकेगा.
- यह इस वर्ष (2018) पूर्वानुमान परीक्षण के आधार पर जारी किया जायेगा तथा बाद में इसका दायरा विस्तृत करने की योजना है.
- नयी तकनीक से प्रशासन तथा आपदा प्रबंधन से जुड़े संगठन समय रहते बाढ़ के जोखिम वाले इलाकों तथा आबादी की पहचान कर सकेंगे तथा चेतावनी जारी की जा सकेगी.
उद्देश्य |
समझौते का उद्देश्य बाढ़ के पूर्वानुमान को बेहतर बनाना है जिससे क्षेत्र विशेष के लिए चेतावनी जारी की जा सके. साथ ही प्रयोग के तौर पर गूगल अर्थ इंजन का प्रयोग करते हुये बाढ़ प्रबंधन पर निगरानी रखी जायेगी. इसके अलावा गूगल भारत की नदियों पर एक ऑनलाइन प्रदर्शनी भी तैयार करेगा. |
सीडब्ल्यूसी और गूगल इन कार्यों में आपसी सहयोग के लिए तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करेंगे |
(i)बाढ़ पूर्वानुमान प्रणालियों को बेहतर करना, जिससे स्थान-लक्षित आवश्यक कार्रवाई योग्य बाढ़ चेतावनी जारी करने में मदद मिलेगी. (ii) बाढ़ प्रबंधन की परिकल्पना करने एवं इसमें बेहतरी के लिए गूगल अर्थ इंजन का उपयोग करने से जुड़ी उच्च प्राथमिकता वाली अनुसंधान परियोजना. (iii) भारत की नदियों पर ऑनलाइन प्रदर्शनियां तैयार करने से जुड़ी एक सांस्कृतिक परियोजना. |
नोट:
- केन्द्रीय जल आयोग 2016 तक अधिकतम एक दिन पहले बाढ़ के स्तर के बारे में जानकारी दे रहा था.
- सीडब्ल्यूसी ने 2017 में बाढ़ के दौरान बारिश आधारित मॉडल के सहारे परीक्षण के आधार पर तीन दिन पहले बाढ़ के चेतावनी जारी की.
महत्व |
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोग लंबे समय से बाढ़ आने से पहले समय रहते सटीक चेतावनी दिए जाने की मांग करे रहे थे. इस पहल से उनकी यह मांग पूरी होगी. गूगल उच्च स्तरीय डिजिटल, तकनीक जिसमें वो अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञता के सहारे सीडब्ल्यूसी द्वारा प्रदत्त जानकारी के सहयोग से बाढ़ की सटीक जानकारी देगा. अब संभवतः बाढ़ आने के तीन दिन पहले ही लोगों को जानकारी मिल सकेगी. इस समझौते के बाद सरकार को करोड़ों रुपये की बचत होगी. इससे सरकार और आपदा प्रबंधन संगठनों को बाढ़ प्रभावित स्थानों और जनसंख्या की बेहतर जानकारी प्राप्त होगी. यह पहल बेहतर बाढ़ प्रबंधन और बाढ़ से होने वाले नुकसान को रोकने में मील का पत्थर साबित होगी. |
राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना:
मंत्रालय ने इससे पहले वर्ष 2016-17 के दौरान एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (एनएचपी)’ का शुभारंभ किया था.
एनएचपी विश्व बैंक से सहायता प्राप्त केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसमें पूरे देश को कवर किया गया है.
राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना का उद्देश्य जल संसाधन सूचनाओं, बाढ़ से जुड़ी निर्णय सहायता प्रणाली एवं बेसिन स्तरीय संसाधन आकलन/नियोजन के विस्तार, गुणवत्ता एवं पहुंच को बेहतर करना और लक्षित जल संसाधन प्रोफेशनलों एवं भारत के प्रबंधन संस्थानों की क्षमता को मजबूत करना है.
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