केंद्र सरकार ने 27 सितम्बर 2018 को भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल के अध्यक्ष और इसके सदस्यों के नामों की सिफारिश करने हेतु आठ सदस्यीय एक खोज समिति का गठन किया.
ये समिति लोकपाल के उम्मीदवारों की तलाश करेगी फिर उनके नाम सरकार के पास भेजेगी. इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई करेंगी.
कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से लोकपाल अधिनियम में संशोधन करने का अनुरोध किया था, ताकि लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को चयन समिति में शामिल किया जा सके और इस सिलसिले में एक अध्यादेश लाया जाए.
लोकपाल खोज समिति के सदस्य:
खोज समिति के सदस्य भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की पूर्व अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एएस किरन कुमार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति सखा राम सिंह यादव, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख शब्बीर हुसैन एस खंडवावाला, राजस्थान कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ललित के. पवार और पूर्व सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार हैं.
आठ सदस्यीय खोज समिति को लोकपाल और इसके सदस्यों की नियुक्ति के लिए नामों की एक सूची की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया है.
लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013:
लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम को 2013 में पारित किए जाने के चार साल बाद खोज समिति का गठन करने का फैसला किया गया है. लोकपाल चयन समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं. इसके सदस्यों में लोकसभा स्पीकर, निचले सदन (लोकसभा) में विपक्ष के नेता, देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) या उनके द्वारा नामित शीर्ष न्यायालय के कोई न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाने वाले एक प्रख्यात न्यायविद या अन्य शामिल हैं.
लोकपाल का लाभ:
लोकपाल के पास सेना को छोड़कर प्रधानमंत्री से लेकर नीचे चपरासी तक किसी भी जन सेवक (किसी भी स्तर का सरकारी अधिकारी, मंत्री, पंचायत सदस्य आदि) के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत की सुनवाई का अधिकार होगा. वह साथ ही इन सभी की संपत्ति को कुर्क भी कर सकता है. विशेष परिस्थितियों में लोकपाल को किसी आदमी के खिलाफ अदालती ट्रायल चलाने और 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का भी अधिकार होगा.
सर्च (खोज) कमेटी के सदस्यों का चुनाव करने के लिए चयन समिति की इस साल (वर्ष 2018) एक मार्च, 10 अप्रैल, 19 जुलाई, 21 अगस्त और चार और 19 सितंबर को चयन समिति की कुल छह बैठकें हुईं. पहली बैठक में प्रसिद्ध न्यायविद के रूप में पीपी राव शामिल थे. लेकिन उनकी निधन के बाद भारत के पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को उनकी जगह सदस्य बनाया गया.
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