केंद्र सरकार ने लद्दाख में चीन के साथ जारी विवाद के बीच बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने तीनों सेनाओं को 500 करोड़ रुपये का इमरेंजसी फंड जारी किया है. सेना इस फंड का उपयोग हथियार खरीदने के लिए कर सकेगी. दरअसल, पूर्वी लद्दाख में चीन ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है.
मोदी सरकार द्वारा आपातकालीन आवश्यकता प्रक्रिया के तहत हथियार प्रणाली खरीदने के लिए तीनों सेनाओं को वित्तीय अधिकार प्रदान किए गए हैं. वे अब इन शक्तियों के तहत 500 करोड़ रुपये तक के कोई नए हथियार खरीद सकते हैं. यह सेना को मिली बड़ी आर्थिक मदद है.
सैन्य विवाद
केंद्र सरकार ने सीमा पर चीन के साथ जारी सैन्य विवाद को दृष्टि में भारतीय पक्ष की सामरिक सुरक्षा हेतु बड़ा कदम उठाया है. मोदी सरकार ने भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए सुरक्षा तंत्र सशक्त बनाने वाले आवश्यक अस्त्र खरीदें की अनुमति दी है.
चीन ने अपने सैनिकों की संख्या बढ़ाई
चीन ने पूर्वी लद्दाख में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है. ऐसे में चीनी सेना की आक्रामकता और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बड़ी संख्या में अपने सैनिकों की तैनाती के बाद केंद्र सरकार की तरफ से आपात स्थिति में हाथियारों की खरीद की शक्ति को सेना को देने की जरूरत महसूस की गई थी.
हिंसा की सबसे बड़ी घटना
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत ने चीन से लगती सीमा पर अग्रिम इलाकों में लड़ाकू विमान और हजारों की संख्या में अतिरिक्त सैनिकों को भेजा है. गलवान घाटी में हिंसा 45 वर्षों में सीमा पार हिंसा की सबसे बड़ी घटना है और इससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है.
हथियारों और उपकरणों की एक सूची तैयार
तीनों सेनाओं ने पहले ही हथियारों और उपकरणों की एक सूची तैयार करना शुरू कर दिया है जिनकी उन्हें आवश्यकता है और कम से कम समय में खरीद सकते हैं. भारतीय सेना अपने गोला बारूद के विस्तार के लिए आपातकालीन वित्तीय शक्तियों का उपयोग करने जा रही है. उरी अटैक के बाद बीते चार वर्षों में रक्षा बलों ने कई पुर्जों और मिसाइलों का स्टॉक किया था, जो उस समय भारत के पास बेहद कम थे.
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