केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ‘डीप ओशन मिशन’ के शुभारंभ की घोषणा की है. केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा यह मिशन समुद्र अनुसंधान क्षेत्र में किया जाएगा.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम. राजीवन ने पांचवी ओसियन सोसायटी कांफ्रेंस में इस मिशन को शुरू करने की घोषणा की.
एम. राजीवन के अनुसार समुद्री विज्ञान में शोध के क्षेत्र में भारत का 15वां स्थान है. केन्द्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालयों हेतु ओसियनग्राफी कार्यक्रम भी आरम्भ करेगा.
भारत विश्व का पहला ऐसा देश है जिसे गहरे समुद्र में खनन अन्वेषण के लिए पर्याप्त क्षेत्र दिया गया था. वर्ष 1987 में भारत को केन्द्रीय हिन्द महासागर बेसिन में पॉलिमेटालिक नोड्यूल्स में अन्वेषण का मौका मिला.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित राष्ट्रीय पॉलिमेटालिक मोड्यूल कार्यक्रम के अंतर्गत नोड्यूल खनन हेतु सीएसआईआर-एनआईओ द्वारा पर्यावरण प्रभाव आकलन अध्ययन, सीएसआईआर-नेशनल मेटालर्जिकल लैबोरेट्री और सीएसआईआर- खनिज एवं धातु प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा धातु निष्कर्षण प्रक्रिया विकास और राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा खनन प्रौद्योगिकी विकास का अध्ययन किया गया.
संसाधन मूल्यांकन के आधार पर, भारत के पास लगभग 100 मिलियन टन सामरिक धातुओं जैसे कॉपर, निकेल, कोबाल्ट और मैंगनीज और आयरन के अनुमानित संसाधन के साथ लगभग 75,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है.
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