चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग अब 2021 की जगह 2022 में होने की संभावना है. इसरो चीफ के सिवन ने इस बात की जानकारी दी है. इसरो चीफ ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग में होने वाली देर की वजह भी बताई. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से चंद्रयान-3 और देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान समेत कई परियोजनाओं की शुरुआत में देरी हो गई.
कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से चंद्रयान-3 और देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान' सहित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की कई परियोजनाएं प्रभावित हुई हैं. चंद्रयान-3 में अपने पूर्ववर्ती यानों की तरह ‘ऑर्बिटर' नहीं होगा. सिवन ने कहा कि हम इसपर काम कर रहे हैं. यह चंद्रयान-2 की तरह ही है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा.
चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण
चंद्रयान-2 के साथ भेजे गए ऑर्बिटर को ही चंद्रयान-3 के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इसी के साथ हम एक प्रणाली पर काम कर रहे हैं और अधिकतर संभावना है कि प्रक्षेपण अगले साल 2022 में होगा. चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 22 जुलाई 2019 को हुआ था और इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ‘रोवर' उतारने के लिए भेजा गया था.
चंद्रयान-3 एक महत्वपूर्ण मिशन
इसरो के लिए चंद्रयान-3 भी एक महत्वपूर्ण मिशन है जो अंतरग्रहीय ‘लैंडिंग’ में भारत के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा. सिवन ने कहा कि गगनयान परियोजना के तहत इस साल दिसंबर में इसरो के प्रथम मानवरहित मिशन को अंजाम देने की योजना है जिसे पिछले साल दिसंबर में ही अंजाम दिया जाना था. उन्होंने कहा कि इसके बाद एक और मानवरहित मिशन को अंजाम दिया जाएगा तथा फिर तीसरी बार में मानवयुक्त मिशन को अंजाम दिया जाएगा.
तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना
गगनयान परियोजना के तहत 2022 तक तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है. इस मिशन के लिए चार ‘टेस्ट पायलट’ चुने गए हैं जो इस समय रूस में प्रशिक्षण ले रहे हैं. इस परियोजना के तहत तीसरे मॉड्यूल-मानव मिशन के प्रक्षेपण के बारे में पूछे जाने पर सिवन ने कहा कि प्रौद्योगिकी प्रदर्शन की आवश्यकता है.
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