चीन ने 13 मई 2018 को अपना पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत ‘टाइप 001ए’ को डालियान पोर्ट से समंदर में परीक्षण के लिए उतार दिया हैं. सेना को मजबूत बनाने और विवादित समुद्री इलाकों पर पैठ बनाने की दिशा में इसे चीन का बड़ा कदम माना जा रहा है.
इस युद्धपोत को अभी करीब छह महीने तक विभिन्न जांच और परीक्षणों से गुजरना होगा जिसके बाद इसको नेवी में शामिल कर लिया जाएगा.
यह युद्धपोत चीन के जहाजी बेड़े का दूसरा युद्धपोत है. यह युद्धपोत का वजन पचास हजार टन हैं. यह युद्धपोत वर्ष 2022 तक चीन की सेना में पूरी तरह से शामिल कर लिया जाएगा. चीन के इस नए एयरक्राफ्ट कैरियर पर 12,000 से ज्यादा उपकरण फिट हैं.
युद्धपोत में खास क्या है?
चीन का ये युद्धपोत पहले के युद्धपोत लियाओनिंग के मुकाबले बड़ा और बहुत अधिक भारी है. ये तकनीक के बजाय पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करता है. इसके जरिए चीन विश्व के सर्वक्षेष्ठ नौसैनिक क्षमताओं वाले देशों के समकक्ष आ गया है, जिसमें रूस, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं.
तीसरे विमानवाहक युद्धपोत |
चीन ने तीसरे विमानवाहक युद्धपोत पर काम शुरू कर दिया है. यह परमाणु ऊर्जा संचालित होगा. चीन अपने बेड़े में वर्ष 2030 तक चार विमानवाहक युद्धपोत शामिल करना चाहता है, जिससे वह दक्षिण चीन सागर में अपना दबदबा कायम कर सके. चीन ने एजे-15 नामक नया जेट फाइटर विमान भी तैयार कर लिया है. |
एयरक्राफ्ट कैरियर्स क्लब:
दुनिया के कुछ ही देशों के पास एयरक्राफ्ट कैरियर्स क्लब हैं. भारत भी इस क्लब में शामिल है. अमेरिका, रूस, चीन, भारत, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और थाइलैंड के पास ही एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. भारत के अतिरिक्त दुनिया भर में अभी 18 से 20 एयरक्राफ्ट कैरियर हैं. सबसे ज्यादा 11 एयरक्राफ्ट कैरियर अमेरिका के पास है और सारे के सारे परमाणु क्षमता से लैस हैं.
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पृष्ठभूमि:
गौरतलब है कि चीन ने अप्रैल 2017 में दूसरा विमान वाहक पोत लॉन्च किया था. इससे पहले उसने वर्ष 2012 में पहले पोत लिआओनिंग को अपनी नौसेना में शामिल किया था. यह सोवियत संघ में बना है जिसको दुरूस्त करके शामिल किया गया था. चीन परमाणु विमान वाहक पोत बनाने की भी योजना बना रहा है.
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