चीन ने समंदर पर विश्व का सबसे लंबा पुल बनाया

चीन के शहर झुहाई को हांगकांग और मकाऊ से जोड़ने वाला विश्व का सबसे लंबा समुद्री पुल 24 अक्टूबर 2018 को सड़क यातायात को खोल दिया जाएगा. यह समुद्री पुल हांगकांग, मकाऊ और मेनलैंड चीन को जोड़ रहा है.

Oct 23, 2018, 11:31 IST
China is opening the world's longest sea bridge
China is opening the world's longest sea bridge

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने 23 अक्टूबर 2018 को चीन और मकाओ को हॉन्ग-कॉन्ग से जोड़ने वाले समुद्र पर बने दुनिया के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया. ये पुल 55 किलोमीटर लंबा है.

चीन के शहर झुहाई को हांगकांग और मकाऊ से जोड़ने वाला विश्व का सबसे लंबा समुद्री पुल 24 अक्टूबर 2018 को सड़क यातायात को खोल दिया जाएगा. यह समुद्री पुल हांगकांग, मकाऊ और मेनलैंड चीन को जोड़ रहा है.

समय की बचत:

इस पुल के खोले जाने के बाद हांग-कांग से झुहाई के बीच का यात्रा का समय कम हो जाएगा. हांग कांग से झुहाई जाने में अभी 3 घंटे लगते हैं जो 30 मिनट में सिमट जाएगा. हांगकांग इंटरनेशनल एयरपोर्ट से झुहाई तक जाने में चार घंटे का वक़्त लगता है, जो अब घटकर 45 मिनट रह जाएगा.

                    पुल के बारे में:

इस पुल में डुअल थ्री लेन है. इसकी गहराई 44 मीटर तक है. पुल का बाकी हिस्सा जमीन पर बना है. सुरंग के दोनों तरफ दो कृत्रिम द्वीप हैं. ये दोनों 10 लाख वर्ग फुट के ज्यादा इलाके में बने हैं. ये पर्ल रिवर एश्चुअरी के छिछले क्षेत्र में बना है ताकि पुल और सुरंग के इलाकों के बीच में ट्रांसिट मिल सके. समुद्र के नीचे जो सुरंग बनी है, वो 33 ब्लॉक से तैयार हुई है. इनमें से हरेक 38 मीटर चौड़ा, 11.4 मीटर ऊंचा और 80 हजार टन वजनी है. इस पुल में 4 लाख टन स्टील लगा है, जो रिक्टर पैमाने पर 8 की तीव्रता वाले भूकंप को भी आसानी से झेल सकता है.

पुल की खासियत:

इस पुल की खासियत ये है कि पुल के साथ स्नैकिंग सड़क क्रॉसिंग और एक सुरंग भी बनाया गया है. यह पुल 22.9 किलोमीटर समुद्र के ऊपर जबकि 6.7 किलोमीटर समुद्र के नीचे सुरंग से गुज़रता है. यह पुल हांगकांग और मकाऊ समेत दक्षिण चीन के 11 शहरों को जोड़ता है. साथ ही ये अगले 120 सालों तक इस्तेमाल किया जा सकेगा. यात्रा में लगने वाला समय 60 प्रतिशत तक घटेगा.

पुल के खोले जाने के बाद क्या होगा असर?

पर्ल नदी पर बने इस 55 किलोमीटर लम्बे पुल के अंदर सुरंग भी बनाई गई है. ऐसा माना जा रहा है कि इस पुल से जहां कई शहर एक दूसरे के करीब आ जाएगें वहीं व्यापार भी बढ़ेगा, जो अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद मिलेगी.

पृष्ठभूमि:

इस परियोजना का विचार वर्ष 2003 में आया था और दिसंबर 2009 में इसका निर्माण शुरू हुआ था. इस पर कुल 120 अरब युआन (17.3 अरब डॉलर) का खर्च आया है. इसका ख़र्च हांगकांग, झुहाई और मकाऊ की सरकारें मिलकर उठा रही हैं. हांगकांग और मकाऊ दोनों अतीत में यूरोपीय ताक़तों की कॉलोनी रहे हैं और वर्ष 1990 से इनका नियंत्रण चीन को मिला है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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