चीन का चुरोंग रोवर 7 महीने की अंतरिक्ष यात्रा पूरी करने के बाद मंलग ग्रह पर सफलतापूर्वक लैंड कर गया है. इसी के साथ चीन मंगल ग्रह पर रोवर भेजने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है. चीन ने मंगल ग्रह की सतह पर अपने यान चुरोंग की सॉफ्ट लैंडिंग कराकर ये साबित कर दिया है वो तकनीकी दृष्टि से काफी मजबूत है.
दरअसल, चीन का ये यान अब तक वहां पर भेजे गए यानों में सबसे अधिक वजनी है. चीन का ये लैंडर 5 टन वजनी है. इस लैंडर में कई तरह के वैज्ञानिक उपकरणों से लैस है. वैज्ञानिकों के उम्मीद है कि ये तीन महीने तक सक्रिय रह सकता है.
अग्नि देवता के नाम पर रखा गया
चुरोंग नाम चीन के अग्नि देवता के नाम पर रखा गया है. अमेरिका इससे पहले सफलता पूर्वक नौ बार अपने अंतरिक्ष यान को मंगल ग्रह पर उतार चुका है. यही नहीं, वह ग्रह पर यान के संचालन में भी सफल रहा है. चुरोंग छह पहियों वाला रोवर है.
मंगल ग्रह पर उतरना एक बड़ी सफलता
यह मंगल के यूटोपिया प्लेनीशिया समतल तक पहुँचा है जो मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध का हिस्सा है. चीन ने इस रोवर में एक प्रोटेक्टिव कैप्सूल, एक पैराशूट और रॉकेट प्लेफॉर्म का इस्तेमाल किया है. मंगल ग्रह पर चीन के रोवर का उतरना एक बड़ी सफलता है.
चुरोंग रोवर का काम: एक नजर में
ये लैंडर मंगल ग्रह की सतह और उसकी अंदरुणी सतह पर शोध करेगा. इसके अतिरिक्त ये वहां पर पानी की मौजूदगी का भी पता लगाएगा. साथ ही मंगल ग्रह पर मौजूद बड़ी बड़ी चट्टानों में मौजूद खनिजों को पता लगाएगा और मंगल के पर्यावरण की भी जानकारी धरती पर मौजूद कंट्रोल रूम को भेजेगा. चीन का रोवर यहां पानी की मौजूदगी के साथ जीवन का भी पता लगाएगा.
यूटोपिया प्लेनीशिया से चीन का यह रोवर मंगल ग्रह की तस्वीरें भेजेगा. चीनी इंजीनियर इस पर लंबे समय से काम कर रहे थे. मंगल ग्रह मुश्किल और चुनौतीपूर्ण पर्यावरण के लिए भी जाना जाता है. यहां धूल भरी आँधी बहुत शक्तिशाली होती है. किसी भी अंरतिक्ष मिशन के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होती है.
मंगल ग्रह की सतह पर उतरने वाला सबसे भारी यान
चीन मंगल पर किसी यान की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता हासिल करने वाला दुनिया का तीसरा देश बन गया. उसका ‘चुरोंग’ लैंडर मंगल ग्रह की सतह पर उतरने वाला अब तक सबसे वजनी यान बताया जा रहा है. मंगल ग्रह पर पहुंचने वाले रोवर का वजन लगभग 240 किलोग्राम है और इसमें छह पहिए तथा चार सौर पैनल लगे हैं. यह प्रति घंटे 200 मीटर तक घूम सकता है. इसमें कैमरा, रडार और मौसम संबंधी मापक यंत्र जैसे वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं.
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