चीन ने पहली बार एक साथ तीन हाइपरसोनिक विमानों के मॉडल का सफल परीक्षण किया

Oct 1, 2018, 10:39 IST

परमाणु हथियार ढोने में सक्षम किसी भी विमान को रोकने के लिए इसकी स्पीड को जरूरत के मुताबिक घटाया और बढ़ाया जा सकेगा. चीन में जीउक्वान उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से विमानों के तीन मॉडलों का परीक्षण किया गया.

China tests three hypersonic aircraft models together
China tests three hypersonic aircraft models together

चीन ने हाल ही में पहली बार एक साथ हाइपरसॉनिक विमान के तीन मॉडलों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. चीन लगातार अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में लगा हुआ है.

परमाणु हथियार ढोने में सक्षम किसी भी विमान को रोकने के लिए इसकी स्पीड को जरूरत के मुताबिक घटाया और बढ़ाया जा सकेगा. चीन में जीउक्वान उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से विमानों के तीन मॉडलों का परीक्षण किया गया.

हाइपरसोनिक विमान से संबंधित मुख्य तथ्य:

•   विमान के तीनों मॉडल की अलग-अलग डिजाइन है. तीनों को डी 18-1एस, डी18-2एस और डी-18 3 एस कोड नाम दिया गया है. इसे गुब्बारे के सहारे छोड़ा गया था.

•   हाइपरसोनिक विमान की रफ्तार को भी आवश्यकता अनुसार घटायी-बढ़ायी जा सकती है. इस तरह के हाइपरसोनिक विमानों का चीन ने पहली बार परीक्षण किया है.

•   यह परमाणु हथियार ढोने में संपन्न विमानों पर सटीकता से हमला कर सकेगा.

•   हाइपरसोनिक का अर्थ ध्वनि की गति से भी छह गुना अधिक होता है.

•   यह हाइपरसोनिक विमान अत्याधुनिक तकनीक से लैस है.

•   ये परमाणु हथियार ले जाने के साथ किसी भी मौजूदा पीढ़ी की मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणालियों (ऐंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स) में प्रवेश कर सकता है.

                      हाइपरसॉनिक विमान के बारे में

हाइपरसॉनिक एयरक्राफ्ट उन विमानों को कहते हैं जो ध्वनि के वेग से भी अधिक वेग से उड़ सकते हैं. ऐसे विमानों का विकास 21वीं सदी में हो रहा है.

इनका उपयोग प्रायः अनुसंधान एवं सैनिक उपयोग के लिये तय किया गया है. यह लड़ाकू विमान ध्वनि के वेग के पाँच गुना से भी अधिक वेग (5 मैक से अधिक) से उड़ते हैं.

अन्य जानकारी:      

चीनी वैज्ञानिकों ने पिछले महीने पहली बार स्टारी स्काय-दो नामक हाइपरसोनिक ग्लाइडर का परीक्षण किया था. इसे रॉकेट के जरिए छोड़ा गया और फिर यह अपने शॉक वेभ मैक छह (ध्वनि की रफ्तार से छह गुणा, या 7,344 किलोमीटर प्रति घंटे) पर चलता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी तरह विकसित होने के बाद इसकी रफ्तार इतनी होगी कि यह मौजूदा पीढ़ी की मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणालियों में प्रवेश कर सकता है.

चीन का इस साल का रक्षा बजट 175 बिलियन यूएस डॉलर है. वह अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ के देशों के साथ मिलकर डिफेंस और डिवेलपमेंट के क्षेत्र में भारी निवेश कर रहा है. गौरतलब है कि चीन वर्ष 2014 से ही हाइपरसोनिक ग्लाइडर का परीक्षण कर रहा है. चीन के अलावा अमेरिका और रूस भी इसी तरह के प्रयोग कर रहे हैं.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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