राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने 07 मई 2018 को सदन के नियमों एवं प्रक्रियाओं में बदलाव करने और विशेष रूप से सदन की कार्यवाही में जानबूझ कर बाधा डालने वाले सदस्य के स्वत: निलंबन का प्रावधान करने के लिए दो सदस्यीय समिति गठित की है.
उच्च सदन का कामकाज बेहतर ढंग से चलाने के उद्देश्य से नियमों एवं प्रक्रियाओं में बदलाव करने का फैसला किया गया है. यह समिति सांसदों एवं विशेषज्ञों से बात करके तथा विभिन्न देशों के सदनों के नियमों का अध्ययन करके अपनी सिफारिशें देगी.
समिति का स्वरूप |
- समिति की अध्यक्षता राज्यसभा पूर्व महासचिव वी के अग्निहोत्री करेंगे और उसमें विधि मंत्रालय के सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव आर एस धलेता भी शामिल होंगे.
- यह समिति दो भागों में रिपोर्ट पेश करेगी और पहली रिपोर्ट तीन महीने में दे देगी.
- समिति की सिफारिशें सदन की नियम संबंधी समिति के पास भेजी जाएगी जो राजनीतिक दलों एवं सांसदों से विचार विमर्श के बाद सदन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
|
यह भी पढ़ें: सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने हेतु विशेष काडर बनाया जायेगा
नियमों में बदलाव की आवश्यकता क्यों?
बजट सत्र के दूसरे में चरण में हंगामे के कारण कोई कामकाज नहीं हो पाया था. इसी के मद्देनज़र नियमों में बदलाव करने हंगामा करने वालों के खिलाफ स्वत: निलंबन का प्रावधान किया जा रहा है. लोकसभा की तरह, सदन में सभापति के आसन के पास आकर बार-बार हंगामा करने वाले सदस्यों के स्वत: निलंबन का प्रावधान फिलहाल राज्यसभा में नहीं है.
राज्यसभा के कार्य एवं शक्तियां |
- लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा भी विधि निर्माण सम्बन्धी कार्य करती है. संविधान के द्वारा अवित्तीय विधेयकों के सम्बन्ध में लोकसभा और राज्यसभा दोनों को बराबर शक्तियां प्रदान की गई हैं.
- संशोधन प्रस्ताव तभी स्वीकृत समझा जाएगा जब संसद के दोनों सदनों द्वारा अलग-अलग अपने कुल बहुमत तथा उपस्थित एवं मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया जाए.
- लोकसभा से स्वीकृत होने पर वित्त विधेयक राज्यसभा में भेजे जायेंगे, जिसके द्वारा अधिक से 14 अधिक दिन तक इस विधेयक पर विचार किया जा सकेगा. अनुच्छेद 249 के अनुसार, राज्यसभा उपस्थित और मतदान में भाग लेने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से राज्यसूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्व का विषय घोषित कर सकती है.
|
Comments
All Comments (0)
Join the conversation