कांगो ने की इबोला वायरस का प्रकोप समाप्त होने की घोषणा

May 4, 2021, 17:33 IST

यह इबोला वायरस पहली बार वर्ष, 1976 में इबोला वायरस (अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो) के निकट  खोजा गया था. इस इबोला वायरस के बारे में सब कुछ जानने के लिए जरुर पढ़ें यह आर्टिकल.

Congo declares end of Ebola outbreak, what is Ebola virus?
Congo declares end of Ebola outbreak, what is Ebola virus?

03 मई, 2021 को कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य ने इबोला वायरस रोग के 12 वें प्रकोप की समाप्ति की घोषणा की है, जिसने उत्तरी किवु के पूर्वी प्रांत में 12 लोगों को संक्रमित किया था और उनमें से छह लोगों की मृत्यु हो गई थी.  

सहायता समूह मेडेकिंस सैंस फ्रंटियर्स (MSF) ने यह बताया है कि, इस प्रकोप को रोकने के लिए मर्क के इबोला वैक्सीन का उपयोग किया गया था. यह टीका 1,600 रोगियों और उनके संपर्क में आने वाले लोगों और इन संपर्कों के संपर्क में आये लोगों को भी लगाया गया था.

जांच करने पर यह पता चला है कि, वर्तमान और वर्ष, 2018-20 इबोला महामारी के मामलों के बीच एक आनुवंशिक लिंक पाया गया. वर्ष, 2018-20 के दौरान 2,200 से अधिक लोगों की मौत इस बीमारी से हो गई थी, जो इस बीमारी के इतिहास में हुई मौत का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है.

इबोला वायरस का नवीनतम पुनरुत्थान 03 फरवरी, 2021 को बटेम्बो शहर में देखा गया था जब एक ऎसी महिला की मृत्यु हो गई, जिसका पति इबोला वायरस के पिछले प्रकोप के दौरान इस बीमारी का शिकार बना था.

स्वास्थ्य मंत्री जीन-जैक्स मबुन्गनी ने एक बयान में यह कहा है कि, "मैं उत्तर किवु प्रांत में इबोला वायरस की बीमारी के 12 वें संक्रमण दौर की समाप्ति की घोषणा करते हुए बहुत प्रसन्न हूं."

इबोला वायरस रोग क्या है?

• इस इबोला वायरस की खोज सबसे पहले वर्ष, 1976 में इबोला नदी (अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो) के पास हुई थी. तब से, इस वायरस ने कई अफ्रीकी देशों को जकड़ लिया है.
• यह एक अत्यधिक संक्रामक और घातक वायरस के तौर पर जाना जाता है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को ऐसे तरीकों से क्षति पहुंचाता है कि जिससे रोगी के शरीर में आंतरिक और बाहरी तौर पर, भारी रक्तस्राव होने लगता है. इस घातक बीमारी के लक्षणों में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, बुखार, उल्टी, दस्त, अंगों की विफलता शामिल हैं.
• इबोला बीमारी में औसत मृत्यु दर 50 प्रतिशत है. पिछले प्रकोपों के दौरान प्रति मरीज मामलों में = मृत्यु दर 25 प्रतिशत से 90 प्रतिशत तक थी.
• यह वायरस जानवरों से मनुष्यों में आता है और मानव-से-मानव संपर्क के माध्यम से काफी बड़ी संख्या में लोगों को अपना शिकार बनाता है.

इबोला वायरस: निदान

मलेरिया, मेनिन्जाइटिस, टायफाइड जैसे लक्षणों से मिलते-जुलते लक्षणों के कारण मनुष्यों में इबोला वायरस का निदान करना असंभव था, लेकिन इस वायरस के संक्रमण की पुष्टि और निदान निम्नलिखित तरीकों से संभव हो सका:
• RT-PCR (रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेज़ पॉलिमरेज़ चेन रिएक्शन)
• सीरम निराकरण टेस्ट
• एलिसा (एंटीबॉडी-कैप्चर एंजाइम-लिंक्ड इम्युनोसॉरबेंट टेस्ट)
• इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी

इबोला वायरस: वैक्सीन

• वर्ष, 2015 में गिनी में परीक्षण के दौरान इबोला वायरस को बेअसर करने में यह टीका rVSV-ZEBOV कारगर साबित हुआ.
• इस वैक्सीन rVSV-ZEBOV का उपयोग वर्ष, 2018-2020 के प्रकोप और वर्ष, 2021 के मौजूदा प्रकोप में भी किया गया है.

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