दिल्ली का कनॉट प्लेस कार्यालय हेतु स्थान किराये पर लेने के मामले में विश्व की दसवीं सबसे महंगी जगह है. पिछली बार के मुकाबले कनॉट प्लेस का यह स्थान एक पायदान नीचे आ गया है.
प्रॉपर्टी सलाहकार कंपनी सीबीआरई के अनुसार, 111 डॉलर प्रति वर्गफीट के वार्षिक किराये के साथ दिल्ली का कनॉट प्लेस ऑफिस के लिए विश्व की दसवीं सबसे महंगी जगह है. मुंबई का बांद्रा कुर्ला काम्पलेक्स इस आधार पर 16वें तथा नरीमन प्वायंट 30वें स्थान पर है.
सीबीआरई के अनुसार ‘‘दिल्ली का कनॉट प्लेस मार्च 2017 में नौवें स्थान पर था.’ सीबीआरई के अध्यक्ष (भारत एवं दक्षिण पूर्व एशिया) अंशुमन मैगजीन के अनुसार देश में बेहतर मांग के कारण रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए व्यावसायिक ऑफिस बाजार अब भी आकर्षक बना हुआ है.
स्थिर लीज एवं किराया तथा वैश्विक निवेशकों की जारी दिलचस्पी के कारण भी यह क्षेत्र आकर्षक है. सीबीआरई रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में एशियाई बाजारों ने शीर्ष दस स्थानों में दबदबा बनाया है. हांग कांग महंगे ऑफिस के मामले में शीर्ष तीन स्थानों में से दो पर स्थित है.
हांग कांग सेंट्रल 269 डॉलर प्रति वर्गफीट के सालाना किराये के साथ शीर्ष पर, बीजिंग के फायनेंस स्ट्रीट ने 174 डॉलर वर्गफीट सालाना किराये के साथ दूसरे तथा हांग कांग के वेस्ट कोलून ने 164 डॉलर प्रति वर्गफीट सालाना किराये के साथ तीसरे स्थान पर है.
शीर्ष पांच में न्यूयॉर्क का मिडटाउन मैनहट्टन और बीजिंग का सीबीडी भी शामिल है. शीर्ष दस में दिल्ली के कनॉट प्लेस समेत तोक्यो का मारुनोऊची और ओतेमाची तथा शंघाई का पुदोंग भी शामिल है.
दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस का नाम ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्य ड्यूक ऑफ़ कनॉट के नाम पर पड़ा. यह मार्केट 1929 में बननी शुरु हुई. 1933 में इसका ढांचा पूरा हुआ. बतौर राजधानी दिल्ली 12 दिसम्बर 2011 को अपने 100 साल पूरे कर चुकी है. इस मार्केट का डिजाइन डब्यू एच निकोल और टॉर रसेल ने बनाया.
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