इस 20 जुलाई, 2020 से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 लागू हो गया है. केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, रामविलास पासवान ने कहा कि, यह नया कानून उपभोक्ताओं को सशक्त बनायेगा.
यह नया कानून अपने अधिसूचित नियमों और उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों, उपभोक्ता संरक्षण परिषदों, उत्पाद देयता, मध्यस्थता और मिलावटी सामान से बने उत्पादों के निर्माण या बिक्री के लिए सजा जैसे विभिन्न प्रावधानों के माध्यम से उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करेगा.
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि इस अधिनियम में उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा, संवर्धन और इन अधिकारों को लागू करने के लिए केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना करना भी शामिल है.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019: मुख्य विशेषताएं
- ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों द्वारा अनुचित व्यापार प्रथाओं की रोकथाम के लिए आवश्यक नियम इस अधिनियम के तहत कवर किए जाएंगे.
 - प्रत्येक ई-कॉमर्स इकाई को धनवापसी, वापसी, वारंटी और गारंटी, विनिमय, वितरण और शिपमेंट, शिकायत निवारण तंत्र, भुगतान के तरीके, भुगतान के साधन, भुगतान के तरीकों की सुरक्षा और शुल्क-वापसी के विकल्प सहित संबद्ध वस्तु के मूल देश के बारे में जानकारी देनी होगी, जो उपभोक्ताओं को उनके प्लेटफॉर्म पर खरीद के पहले चरण में सूचित निर्णय लेने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक होगा.
 - मध्यस्थता प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इस नए अधिनियम के तहत मध्यस्थता का एक वैकल्पिक विवाद तंत्र भी प्रदान किया गया है. मध्यस्थता के लिए एक उपभोक्ता आयोग को शिकायत सौंपी जायेगी, जहां शुरुआती निपटान की गुंजाइश मौजूद होगी और दोनों/ सभी पार्टियां इसके लिए सहमत हों.
 - उपभोक्ता आयोगों के तहत स्थापित विभिन्न मध्यस्थता सेल्स में यह मध्यस्थता वार्ता की जाएगी. ऐसी मध्यस्थता के माध्यम से निपटान के खिलाफ कोई अपील नहीं होगी.
 - उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के नियमों के अनुसार, कुल 5 लाख रुपये तक के मामले दर्ज करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा.
 
CCPA का उद्देश्य:
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) को उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ संस्थान के मुकदमों या शिकायतों की जांच करने का भी अधिकार होगा. यह भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने का आदेश भी दे सकता है, असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं की वापसी का आदेश दे सकता है, निर्माताओं या प्रकाशकों या भ्रामक विज्ञापनों के समर्थन करने वालों पर जुर्माना भी लगा सकता है.
उपभोक्ताओं को लाभ
- सभी उत्पादों में मिलावट और भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए कठोर सजा का प्रावधान.
 - केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के माध्यम से प्रदान किए जाने वाले तीव्र क्रियान्वयन उपाय.
 - उत्पाद दायित्व का प्रावधान निर्माताओं और सेवा प्रदाताओं को अपूर्ण सेवाओं और दोषपूर्ण उत्पाद उपलब्ध करवाने से रोकना है.
 - उपभोक्ता आयोगों में अपील करना आसान होगा और अधिनिर्णयन प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है.
 - इस कानून के तहत, मध्यस्थता के माध्यम से विभिन्न मामलों के शीघ्र निपटान की गुंजाइश है.
 - नए युग के उपभोक्ता मुद्दों जैसेकि, प्रत्यक्ष बिक्री और ई-कॉमर्स के लिए नियमों का भी प्रावधान है.
 
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019: पृष्ठभूमि
यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 पिछले उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को निरस्त और प्रतिस्थापित करता है. केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, राम विलास पासवान ने पहली बार 8 जुलाई, 2019 को लोकसभा में एक उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, 2019 पेश किया था.
इस विधेयक को 30 जुलाई, 2019 को लोकसभा में और फिर, 6 अगस्त, 2019 को राज्यसभा में पारित किया गया. इस विधेयक को 9 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की सहमति प्राप्त हुई, और उसी तारीख को भारत के राजपत्र में भी इसे अधिसूचित किया गया था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation