वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआइ) से कोविड-19 से मुकाबले के लिए दो दवाओं- फेविपिरविर (favipiravir) और फाइटोफार्मास्युटिकल (phytopharmaceutical) के क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी मिल गई है. बताया जा रहा है कि यदि ट्रायल कामयाब रहा तो कोरोना के इलाज का रास्ता खुल जाएगा और सभी लोगों को इसका फायदा मिलेगा और सस्ते में दवा उपलब्ध हो पाएगी.
कोरोना वायरस (कोविड-19) से लड़ाई में दुनिया के कई देश लगे हुए हैं लेकिन इसके इलाज में कारगर दवा की खोज अभी तक नहीं हो पाई है. सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर मंडे ने फेवीपिरवीर को एक सुरक्षित दवा बताया है और उम्मीद जताई है कि इसका ट्रायल डेढ़ महीने में पूरा हो सकता है. सीएसआइआर के अनुसार, एक सप्ताह के भीतर इन दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल शुरू होगा. उन्होंने कहा कि सीएसआइआर कई प्रसिद्ध दवा कंपनियों के साथ काम कर रहा है.
फेविपिरविर दावा का उपयोग
सीएसआइआर के मुताबिक, फेविपिरविर दवा चीन और जापान में इंफ्लूएंजा के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है. वह आगे बताते हैं, 'जब भी एक वायरस एक कोशिका में प्रवेश करता है, तो यह कई प्रतिकृतियां बनाता है. फेविपिरविर इस प्रतिकृति को बनने से रोकने का काम करता है.
डेंगू के इलाज में सफल
सीएसआइआर फाइटोफार्मास्युटिकल के रूप में जैविक दवा की खोज कर रहा है, जिसे पहले से ही डेंगू के इलाज में सफल पाया गया है. अब कोविड-19 के खिलाफ इसके प्रभाव की जांच की जा रही है.
सीएसआइआर कई प्रसिद्ध दवा कंपनियों के साथ काम कर रहा है. वह यह देखने की कोशिश कर रहा है कि क्या कोविड-19 के खिलाफ एक निश्चित समाधान ला सकता है. इस संबंध में कुछ कंपनियों के साथ हाल ही में क्लीनिकल ट्रायल शुरू किए गए हैं.
सीधे फेज-2 के परीक्षण
सीएसआइआर के मुताबिक फेविपिराविर एक सुरक्षित दवा है इसलिए इसके ट्रायल में सीधे फेज-2 के परीक्षण शुरू किए जा सकते हैं. वहीं अगर परीक्षण अपेक्षित नतीजों के साथ कामयाब होते हैं तो यह दवा जल्द और किफायती दामों पर उपलब्ध होगी. इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि फेविपिराविर एक पुरानी दवा है जिसका पेटेंट अब खत्म हो चुका है.
फेविपिरावीर के बारे में
फेविपिरावीर को फ्यूजीफिल्म टोयामा केमिकल लिमिटेड ने विकसित किया था और सामान्य इंफ्लुएंजा के लिए एक स्वीकृत उपचार है. इसका विपणन रूस, चीन तथा जापान में किया जाता है. फेविपिरावीर एक जेनरिक दवा है और इसे पहले से इंफ्लुएंजा के उपचार के लिए उपयोग किया जा रहा है. चीन, जापान और इटली जैसे कई देशों में इस दवा के जरिए कोविड-19 के इलाज के लिए परीक्षण चल रहा है. आईसीएमआर के संरक्षण में सिप्ला, सिप्लेंजा के रूप में उत्पाद के विपणन से पहले उपयुक्त सीमित परीक्षण कराएगी.
यह दवा मुख्य रूप से जापान की फ्यूजीफिल्म समूह बनाती है और जापान ने पहली बार साल 2014 में इसे दवा के रूप में इस्तेमाल करने को मंजूरी दी थी साल 2016 में फ्यूजीफिल्म ने इसका लाइसेंस चीन की एक फार्मास्यूटिकल्स कंपनी को दिया और साल 2019 में यह एक जेनेरिक मेडिसिन बन गई.
फाइटोफार्मास्युटिकल के बारे में
फाइटोफार्मास्युटिकल मूल रूप से एक हर्बल दवा है जिसे पौधों से निकाला जाता है. यह विभिन्न यौगिकों का मिश्रण है, लेकिन एक पौधे से जैविक उत्पत्ति है. डेंगू की दवा के रूप में इसका पहले ही परीक्षण किया जा चुका है.
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