दिल्ली सरकार ने 02 जुलाई 2018 को स्कूली बच्चों के लिए खुशी पाठ्यक्रम लॉन्च किया. इसके तहत नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक की हर क्लास पांच मिनट के ‘ध्यान’ के साथ शुरू होगी.
इस पाठ्यक्रम में स्कूल के छात्रों के लिए ध्यान, नैतिक मूल्य और मानसिक अभ्यास शामिल हैं. इसे दलाई लामा की उपस्थिति में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा लॉन्च किया गया है.
खुशी पाठ्यक्रम:
- यह पाठ्यक्रम दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों में नर्सरी से लेकर आठवीं कक्षा तक में 45 मिनट का एक ‘ हैप्पीनेस ’ पीरियड होगा.
- खुशी पाठ्यक्रम पारंपरिक शिक्षा पाठ्यक्रम में ध्यान, मूल्य शिक्षा, और मानसिक अभ्यास सहित समग्र शिक्षा पर केंद्रित है.
- यह पाठ्यक्रम छह महीने की अवधि में दिल्ली सरकार के 40 शिक्षकों, शिक्षाविदों और स्वयंसेवकों की एक टीम द्वारा डिजाइन और तैयार किया गया है.
- यह पाठ्यक्रम छात्रों को अच्छा इंसान बनाने के उद्देश्य से ध्यान, नैतिक शिक्षाओं और मानसिक अभ्यास पर केंद्रित है.
- यह पाठ्यक्रम शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा. गुस्सा , नफरत और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक और विध्वंसकारी भावनाओं के चलते पैदा होने वाले संकट का हल करेगा.
दिल्ली के स्कूलों में लागू:
दिल्ली सरकार विशेषज्ञों से, जिसमें दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी शामिल हैं, इसका पूरा खाका तैयार किया गया. यह पाठ्यक्रम पूरी तरह गतिविधियों पर आधारित है और इसकी कोई औपचारिक लिखित परीक्षा नहीं होगी. हालांकि अन्य विषयों की तरह समय-समय पर इसका मूल्यांकन हर एक बच्चे की हैप्पीनेस इंडेक्स के माध्यम से किया जाएगा.
महत्व:
'खुशी पाठ्यक्रम' से आतंकवाद, भ्रष्टाचार और प्रदूषण जैसी आज के समय की समस्याओं को स्कूलों और मानव केंद्रित शिक्षा से हल किया जा सकता है.
इसमें लगभग 10 लाख छात्र और लगभग 50,000 शिक्षक शामिल होने की उम्मीद है.
स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों के मस्तिष्क को, विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से, लगातार 10 साल तक खुशनुमा बने रहने का अभ्यास कराकर न सिर्फ विद्यार्थियों का अपना व्यक्तित्व बदला जा सकता है बल्कि पूरे समाज और देश की दशा और दिशा बदली जा सकती है.
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