दिल्ली के लिए अलग लोक सेवा आयोग बनेगा, विधेयक पारित

Aug 7, 2018, 09:22 IST

दिल्ली विधानसभा में पारित किये गये विधेयक में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा का स्पष्ट मत है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए अलग से लोक सेवा आयोग होना चाहिए.

Delhi to have its own public service commission
Delhi to have its own public service commission

दिल्ली विधानसभा के पांच दिवसीय मानसून सत्र के पहले दिन 06 अगस्त 2018 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए पृथक लोक सेवा आयोग के गठन हेतु विधेयक पारित किया गया. आम आदमी पार्टी (आप) विधायक सौरभ भारद्वाज ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया.

पारित किये गये विधेयक में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा का स्पष्ट मत है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए अलग से लोक सेवा आयोग होना चाहिए. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार इस आयोग के गठन की प्रक्रिया को छह सप्ताह के पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी. दिल्ली विधानसभा का पांच दिवसीय मानसून सत्र 10 अगस्त तक चलेगा.

राज्यों में लोक सेवा आयोग

भारत सरकार अधिनियम, 1935 द्वारा प्रांतीय स्तर पर लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई है. इसे राज्य लोक सेवा आयोग के रूप में जाना जाता है. स्वायत्त निकायों के रूप में इसे भारत के संविधान ने संवैधानिक दर्जा दिया है.

एक राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) में एक अध्यक्ष और राज्य के राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए गए अन्य सदस्य शामिल होते हैं. नियुक्त सदस्यों में से आधे सदस्यों को भारत सरकार के अधीन या किसी राज्य की सरकार के तहत कार्यालय में कम से कम दस वर्ष के लिए कार्यरत होना चाहिए. राज्यपाल के पास सदस्यों की संख्या के साथ साथ आयोग के कर्मचारियों और उनकी सेवा की शर्तों को निर्धारित करने का अधिकार होता है.


राज्य लोक सेवा आयोग के कार्य

•    यह राज्य की सेवाओं में नियुक्तियों के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है.

•    नीचे दिये गए मामलों पर राज्य लोक सेवा आयोग के साथ विचार-विमर्श किया जाता है:

a. सिविल सेवाओं व सिविल पदों की भर्ती की प्रक्रियाओं से संबन्धित सभी मामले.

b. सिविल सेवाओं और पदों के लिए नियुक्तियों और एक सेवा से दूसरे में पदोन्नतियों व स्थानांतरण और इस तरह की नियुक्तियों, पदोन्नति या स्थानांतरण के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए नियमों का पालन करना.

c. एक नागरिक की हैसियत से भारत सरकार के अधीन सेवारत व्यक्ति को प्रभावित करने वाले सभी अनुशासनात्मक मामले जिसमें इन मामलों से संबन्धित स्मृति पत्र या याचिकाएं शामिल हों.

d. अपने आधिकारिक कर्तव्य के निष्पादन में या किए गए कार्यों के खिलाफ किए गए कानूनी कार्यवाही के बचाव में एक सिविल सेवक द्वारा किए गए किसी भी प्रकार के खर्च पर दावा करना.

e. भारत सरकार के अधीन सेवारत व्यक्ति घायल होने पर पेंशन के हक़ के लिए दावा कर सकता है और किसी भी हक़ के लिए राशि से संबन्धित कोई भी प्रश्न कर सकता है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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