सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पंचामृत चढ़ाने पर लगाई रोक

Sep 2, 2020, 15:35 IST

कोर्ट ने क्षरण को रोकने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंचामृत पूजन पर रोक के साथ-साथ श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंग को घिसने और रगड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.

Devotees Should Not Rub Shivalingam at Ujjain Mahakal Temple Says SC in Hindi
Devotees Should Not Rub Shivalingam at Ujjain Mahakal Temple Says SC in Hindi

सुप्रीम कोर्ट ने 01 सितम्बर 2020 को उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग के संरक्षण के लिए मंदिर प्रबंधन समिति को नये निर्देश जारी किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में महत्वपूर्ण फैसला देते हुए शिवलिंग को क्षरण से बचाव के लिए तमाम आदेश पारित किए है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मंदिर के शिवलिंग पर कोई भी भक्त पंचामृत नहीं चढ़ाएगा, बल्कि वह शुद्ध दूध से पूजा करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर कमिटी से कहा है कि वे भक्तों के लिए शुद्ध दूध का इंतजाम करेंगे और ये सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी अशुद्ध दूध शिवलिंग पर न चढ़ाएं.

कोर्ट ने क्षरण को रोकने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंचामृत पूजन पर रोक के साथ-साथ श्रद्धालुओं द्वारा शिवलिंग को घिसने और रगड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को आदेश दिया है कि मंदिर समिति क्षरण रोकने के उपायों को तत्काल लागू करें.

जस्टिस अरुण मिश्रा ने क्या कहा?

जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में फैसला सुनाया. जस्टिस अरुण मिश्रा ने अपने कार्यकाल के आखिर में ये फैसला सुनाया. फैसला सुनाते हुए जस्टिस मिश्रा ने कहा कि भगवान शिव की कृपा से ये आखिरी फैसला भी हो गया. दरअसल, जस्टिस अरुण मिश्रा 02 सितम्बर 2020 को रिटायर होने वाले हैं.

क्षरण से रोकने हेतु तमाम आदेश पारित

सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग को क्षरण से बचाने और संरक्षित करने के लिए तमाम आदेश पारित किया है. इसके तहत कहा गया है कि कोई भी भक्त शिवलिंग पर किसी भी पंचामृत आदि से लेप न करें. भस्म आरती को बेहतर किया जाए ताकि पीएच वैल्यू सही हो और शिवलिंग संरक्षित रहे. इसके लिए बेहतर से बेहतर तरीका अपनाया जाए. शिवलिंग पर मुंडमाल का भार कम किया जाए. इस बात पर विचार किया जाए कि क्या मेटल वाला मुंडमाल अनिवार्य है.

24 घंटे रेकॉर्डिंग

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दही, घी और मधु लेपने (रब) करने के कारण शिविलिंग का घिसाव व क्षरण हो रहा है. ये सही होगा कि सीमित मात्रा में शुद्ध दूध शिवलिंग पर चढ़ाया जाए. परंपरागत पूजा सिर्फ शुद्ध वस्तुओं से होती रही है. कोई भी भक्त शिवलिंग को लेपेगा या मलेगा नहीं बल्कि मंदिर द्वारा परंपरागत पूजा होगी. गर्भगृह में पूजा स्थल की 24 घंटे रेकॉर्डिंग की जाएगी और छह महीने तक रेकॉर्डिंग को संरक्षित किया जाएगा. कोई भी पुजारी इस मामले में आदेश का उल्लंघन करते हैं तो मंदिर कमिटी एक्शन ले सकती है.

पृष्ठभूमि

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर आस्था का बड़ा केंद्र है. जहां श्रद्धालु मंदिर के गर्भ गृह तक जाकर शिवलिंग को छूकर भगवान से आशीर्वाद लेते हैं, लेकिन इस बीच साल 2013 में उज्जैन की सारिका गुरु नामक महिला ने महाकाल मंदिर में हो रहे शिवलिंग क्षरण को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट चला गया. तभी से लगातार सुनवाई के बाद मंगलवार सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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