भारतीय शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने अपने करियर की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की है। सोमवार को उन्होंने हमवतन और उनसे ज़्यादा अनुभवी कोनेरू हम्पी को टाईब्रेकर में हराकर फिडे महिला विश्व कप का खिताब जीत लिया। इस जीत के साथ ही 19 साल की दिव्या ने न सिर्फ़ यह प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीता, बल्कि ग्रैंडमास्टर भी बन गईं। उनकी इस उपलब्धि की खूब तारीफ़ हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उन्हें बधाई दी है। यह पहली बार है जब किसी भारतीय महिला ने यह प्रतिष्ठित खिताब जीता है।
महिला विश्व कप के फ़ाइनल में पहुंचकर दिव्या ने अगले साल होने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जगह पक्की कर ली है। इससे तय होगा कि महिला विश्व चैंपियनशिप में विश्व चैंपियन चीन की जू वेनजुन का सामना किससे होगा। अपनी उम्र से दोगुनी उम्र की प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ जीत के बाद भावुक दिव्या अपने आंसू नहीं रोक पाईं।
19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने कमाल कर दिखाया
दिव्या देशमुख सितारों से सजे FIDE महिला विश्व कप 2025 में एक अंडरडॉग के रूप में आई थीं और भविष्य में ग्रैंडमास्टर बनने के अपने सफ़र में कम से कम एक ग्रैंडमास्टर नॉर्म जीतने की उम्मीद कर रही थीं। नागपुर की इस 19 वर्षीय खिलाड़ी को शायद ही अंदाज़ा था कि वह खेल की कुछ सर्वश्रेष्ठ और बड़ी हस्तियों को हराकर लगभग तीन हफ़्तों के अंतराल में तीन बड़ी उपलब्धियां हासिल कर लेंगी - अगले साल कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में जगह पक्की करना, प्रतिष्ठित खिताब जीतना और इस प्रक्रिया में ही ग्रैंडमास्टर बन जाना।
शतरंज में ग्रैंडमास्टर बनना इतना आसान नहीं है
शतरंज में ग्रैंडमास्टर बनना सबसे कठिन कामों में से एक है, क्योंकि खिलाड़ी को FIDE-K टूर्नामेंट में तीन ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल करने और 2500 रेटिंग पार करने की ज़रूरत होती है, लेकिन नागपुर की इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी ने इसे मुमकिन कर दिखाया।
कैसे बनते हैं ग्रैंडमास्टर
बता दें कि FIDE के नियमानुसार कुछ खास टूर्नामेंटों के विजेता सामान्य नॉर्म और रेटिंग के रास्ते को छोड़कर सीधे ग्रैंडमास्टर बन सकते हैं। महिला विश्व कप FIDE प्रतियोगिताओं में से एक है, जहां विजेता सीधे ग्रैंडमास्टर बन जाती हैं, यदि वे पहले से ग्रैंडमास्टर नहीं हैं।
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