स्वास्थ्य मंत्रालय ने मरीजों के अधिकारों संबंधी ड्राफ्ट चार्टर जारी किया

Sep 5, 2018, 15:33 IST

यह चार्टर राष्ट्रीय मानाधिकार आयोग द्वारा अन्य अंतर्राष्ट्रीय चार्टरों से प्रभावित होकर बनाया गया है. केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर यह ड्राफ्ट जारी किया है.

Draft charter of Patients Rights released
Draft charter of Patients Rights released

केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा तैयार किये गये मरीजों के अधिकारों के ड्राफ्ट चार्टर को जारी किया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य सरकारों द्वारा इस चार्टर को राज्यों में लागू करेगा.

इस चार्टर द्वारा केंद्र व राज्यों को मरीज़ के अधिकारों की सुरक्षा के लिए ठोस तंत्र स्थापित करने में सहायता मिलेगी. केन्द्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर यह ड्राफ्ट जारी किया है. इस चार्टर के तहत मरीजों को 17 अधिकार दिए जाने की बात कही गई है.

मरीज़ों के अधिकारों का ड्राफ्ट चार्टर

•    यह चार्टर राष्ट्रीय मानाधिकार आयोग द्वारा अन्य अंतर्राष्ट्रीय चार्टरों से प्रभावित होकर बनाया गया है.

•    इसका उद्देश्य भारत में मरीज़ के अधिकारों से सम्बंधित कानूनों को मज़बूत बनाना है.

•    इसमें मरीज़ को आपातकालीन स्वास्थ्य देखभाल का अधिकार, मंज़ूरी, किसी प्रकार के भेदभाव की मनाही, दूसरी राय तथा उपलब्ध होने पर वैकल्पिक उपचार के विकल्प को चुनना इत्यादि शामिल हैं.

•    इसमें कुल 17 अधिकार शामिल किये गए हैं. इसे अभी भारत में लागू नहीं किया गया है.

ड्राफ्ट में दिए गये 17 अधिकार

सूचना का अधिकार, रिकॉर्ड और रिपोर्ट का अधिकार, आपातकालीन चिकित्सा देखभाल का अधिकार, सूचना पर सहमति का अधिकार, गोपनीयता का अधिकार, मानव गरिमा और गोपनीयता, दूसरा परामर्श लेने का अधिकार, दरों में पारदर्शिता का अधिकार, गैर-भेदभाव का अधिकार, मानकों के अनुसार सुरक्षा और गुणवत्ता देखभाल का अधिकार, उपलब्ध होने पर वैकल्पिक उपचार चयन करने का अधिकार, दवाएं या परीक्षण प्राप्त करने के लिए स्रोत चुनने का अधिकार, उचित रेफ़रल और हस्तांतरण का अधिकार, नैदानिक परीक्षणों में शामिल रोगियों के लिए सुरक्षा का अधिकार, बायोमेडिकल और स्वास्थ्य अनुसंधान में शामिल प्रतिभागियों की सुरक्षा का अधिकार, रोगी का निर्वहन करने का अधिकार, या अस्पताल से मृतक का शरीर प्राप्त करना, रोगी को शिक्षा का अधिकार, सुनने का अधिकार और निवारण की तलाश का अधिकार.


मरीज़ों के अधिकारों की आवश्यकता क्यों?


भारत में मरीज़ के अधिकारों के सम्बन्ध में सभी राज्यों में एक जैसे नियम नहीं हैं. कुछ एक राज्यों ने नेशनल क्लिनिकल एस्टाब्लिश्मेंट एक्ट, 2010 को स्वीकार किया है जबकि अन्य राज्यों ने स्वयं के राज्य स्तरीय नियमों का निर्माण किया है. स्वास्थ्य क्षेत्र में बिना किसी भेदभाव के सभी मरीजों का उपचार किया जाना आवश्यक है, मरीजों के साथ किसी बीमारी अथवा स्वास्थ्य स्थिति जैसे HIV स्टेटस, जाति व धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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