रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) ने हाल ही में घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने हेतु निजी क्षेत्रों की कंपनियों को मिसाइल सिस्टम विकसित व उत्पादन करने की अनुमति दे दी है. इसके तहत निजी क्षेत्र की फर्मों को मिसाइल सिस्टम को विकसित करने के साथ ही साथ इनका उत्पादन करने की अनुमति भी दी है.
डीआरडीओ के अनुसार, डेवलपमेंट कम प्रोडक्शन पार्टनर (डीसीपीपी) कार्यक्रम के तहत हमने निजी क्षेत्र को हमारे साथ मिसाइल सिस्टम विकसित करने और उनका उत्पादन करने की अनुमति दी है. निजी क्षेत्र की कंपनियों ने भागीदारी के लिए उत्साह दिखाया है.
भारत चुनिंदा देशों में शामिल
डीआरडीओ के अनुसार, प्रारंभिक कार्यक्रम के तहत जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को विकसित किया जाना शामिल है. इसके साथ ही भारत भी उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास मिसाइलों का बड़ा बाजार है.
'मेक इन इंडिया' परियोजना का हिस्सा
डीआरडीओ का यह प्रयास मोदी सरकार की 'मेक इन इंडिया' परियोजना का हिस्सा है. इसके तहत जटिल सैन्य प्रणाली विकसित करने में सक्षम होने के लिए निजी क्षेत्र के उद्योग को तैयार करना है.
निजी क्षेत्र की कंपनियों ने उत्साह दिखाया
डीआरडीओ के इस फैसले को निजी क्षेत्र की कंपनियों ने हाथों-हाथ लिया है. डीआरडीओ के अधिकारियों के अनुसार निजी क्षेत्र की कंपनियों ने इसमें हिस्सा लेने के लिए उत्साहजनक प्रतिक्रिया दी है. इसके तहत कम रेंज की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम के निर्माण के लिए कई बोलियां प्राप्त हुई हैं.
कई योजना पर काम
इस योजना के तहत ऑल वेदर हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली को विभिन्न हवाई लक्ष्यों जैसे जेट, लड़ाकू विमान, मानव रहित विमान से रक्षा प्रदान करने हेतु विकसित किया जा रहा है. डीआरडओ ने टाटा और बाबा कल्याणी सहित निजी क्षेत्र के उद्योगों को एटीएजीएस होवित्जर विकसित करने में मदद की है.
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