डीआरडीओ ने गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण किया

May 25, 2019, 10:58 IST

यह प्रणाली विभिन्‍न प्रकार के युद्धक हथियारों को ले जाने में सक्षम है. गाइडेड बम ने सफलतापूर्वक रेंज हासिल करते हुए लक्ष्‍य पर काफी सटीक निशाना लगाया.

DRDO Successfully Flight-Tested Guided Bomb
DRDO Successfully Flight-Tested Guided Bomb

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 24 मई 2019 को राजस्थान के पोकरण में एक सुखोई लड़ाकू विमान से 500 किलोग्राम श्रेणी के एक गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण किया. यह बम देश में ही विकसित किया गया है.

बताया गया कि बम ने उच्च सटीकता के साथ तीस किमी की दूरी पर अपने लक्ष्य को निशाना बनाया. गाइडेड बम ने सफलतापूर्वक रेंज हासिल करते हुए लक्ष्‍य पर काफी सटीक निशाना लगाया. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, बम छोड़े जाने के परीक्षण के दौरान मिशन के सभी उद्देश्‍य पूरे हो गए थे.

यह प्रणाली विभिन्‍न प्रकार के युद्धक हथियारों को ले जाने में सक्षम है. गाइडेड बम का परीक्षण ऐसे समय में किया गया है जब दो दिन पहले ही भारतीय वायुसेना ने अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह में एक सुखोई विमान से सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के हवाई संस्करण का सफल परीक्षण किया.

वायुसेना की ताकत में इजाफा:

भारतीय वायुसेना को 500 किलोग्राम श्रेणी वाले गाइडेड बम मिलने से मारक क्षमता में काफी इजाफा होगा. दरअसल, गाइडेड बम को लक्ष्य से काफी पहले दागा जाता है. लड़ाकू विमान से दागे जाने के बाद यह अपने लक्ष्य को तलाश करते हुए हवा में उसकी तरफ आगे बढ़ता है.

हाल ही के समय में डीआरडीओ द्वारा किया गया लगातार परीक्षण:

डीआरडीओ ने इससे पहले 13 मई 2019 को ओडिशा के परीक्षण केंद्र से ‘अभ्यास’- हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (हीट) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. परीक्षण में इसकी निगरानी विभिन्न रडारों और इलेक्ट्रो ऑप्टिक प्रणाली के जरिये की गई. नौसेना और डीआरडीओ ने 17 मई 2019 को मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का सफल परीक्षण किया था.

उल्लेखनीय है कि गाइडेड बम को लक्ष्य से काफी पहले दागा जाता है. फाइटर जेट से दागे जाने के पश्चात यह अपने लक्ष्य को तलाश करते हुए हवा में तैरते हुए उसकी तरफ बढ़ता है.

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सुखोई लड़ाकू विमान के बारे में:

सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम पंक्ति का लड़ाकू विमान है. यह बहु-उपयोगी लड़ाकू विमान रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई तथा भारत के हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है. इसी श्रृंखला के सुखोई 30 एमकेके तथा एमके-2 विमानों को चीन तथा बाद में इण्डोनेशिया को बेचा गया था. विमान ने साल 1997 में पहली उड़ान भरी थी.

भारतीय वायुसेना में इसे साल 2002 में सम्मिलित किया गया था. यह विमान हवा में ईन्धन भर सकता है. इस विमान में अलग अलग तरह के बम तथा प्रक्षेपास्त्र ले जाने के लिये 12 स्थान है. इसे भविष्य में ब्रह्मोस प्रक्षेपास्त्र से लैस किया जायेगा. इसके अतिरिक्त इसमे एक 30 मिमि की तोप भी लगी है.

यह भी पढ़ें: IAF ने ब्रह्मोस मिसाइल के हवा से सतह पर मार करने वाले संस्करण का सफल परीक्षण किया

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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