छत्तीसगढ़ स्थित गढ़चिरौली की एक अदालत ने 07 मार्च 2017 को दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जी एन साईबाबा को नक्सलियों के साथ संबंध रखने के आरोप में उम्रकैद की सज़ा सुनाई.
साईबाबा शारीरिक तौर पर 90 प्रतिशत दिव्यांग हैं. उन्होंने लम्बे समय तक आदिवासी जनजातियों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई. वर्ष 2014 में उन्हें नक्सलियों को समर्थन देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.
इस मामले में साईबाबा के अतिरिक्त हेम मिश्रा, प्रशांत राही, विजय टिर्की, पाण्डु नरोटे, महेश टिर्की को अदालत ने भादवि की धारा 13, 18, 20, 38, 39 और 120 बी के तहत दोषी माना. यह सभी आरोपी आज गढचिरौली की सेशन कोर्ट में उपस्थित हुए थे.
जी एन साईबाबा
• जी एन साईबाबा का जन्म आंध्र प्रदेश के एक गरीब परिवार में हुआ. वे जन्म से ही 90 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम हैं.
• अखिल भारतीय पीपुल्स रेजिस्टंस फोरम (एआईपीआरएफ) के एक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने कश्मीर और उत्तर पूर्व में मुक्ति आंदोलनों के समर्थन में दलित और आदिवासी अधिकारों के लिए प्रचार करने के लिए 2 लाख किमी से अधिक की यात्रा की थी.
• मई 2014 में साईबाबा के साथ जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र हेम मिश्रा और पूर्व पत्रकार प्रशांत राही समेत पांच लोग गिरफ्तार हुए थे.
• उन्हें नागपुर की अंडा जेल में रखा गया जहां कसाब को रखा गया था.
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